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भान वालोर बगम या
पर प्रश्नों गा ममाधान तत्त्व-मीमाता में ठोर धरातल में ही उपलब्ध हो गया है।
यापार-वर्णन बोर तत्व-भीमाना रे पारम्परिक मवध पो स्पष्ट पन्ते Prioराधान निग्रने है रि~~"गोई भी आचार मात्र तत्त्व-दान पर परम- दानिक निदान पर अवश्य बाधित होता है। पग्मम गवध मे हमारी जैसी अवधारणा होती है, उनके अनुप ही मारा जागरण होता । र्णन और वापरण माप-ताप चलते हैं।
चालय में जब तक नत्य के न्याप या जीवन में मादनं या योध मी माता, गर तर नाचरण ण मूल्यापन भी समय नहीं। क्योकि यह मूल्यांना नो पबहार वापरल्यशिस नादम ६ में ही विराजा गरा; । गरीब ऐगा विदु है, पहा तत्त्व-मीमामा और नापार दर्णन मिलो ।। मा दीगो गो एक-दूसरे ी अलग नहीं किया जा सकता।
मानीया में तीन पक्ष(1) गानारपग (२) बाभूत्यात्मर (2) विद्याप । IT HITT RAT भी नी पिभाग हो जाते है(१) TREAT (२) प्रम-दगंन (३) आपार-दान ।
Tीनो गोपि-गु भिन्न नी।। मात्र अध्ययन में पायो यी fr-71
रिनी र यो पति लिा विशिष्ट प्रकार का TITUTII गय नध्य एमार, उनी पियामी और माद - परति ET पशो पर गमता म विशार दिया जाता है। नितीनने