Book Title: Jain Dharm Jivan aur Jagat
Author(s): Kanakshreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 65
________________ गरीर गौर उमरा आध्यात्मिक मूल्य ४९ ही आत्मा मुक्त हो जाती है । फिर उसे समार मे परिभ्रमण करना नहीं पटता। जमा कि हमने जाना तेजम और वामण ये दो मूष्टम गरीर प्रत्येक ममारी प्राणी के होते हैं । पर उसके माय भी ज्ञातव्य है कि वे वल इन दो गरीगे मे आत्मा अधिा समय तक नही रह सकती। वह केवल अतगल गति (एक जन्म मे दूसरे जन्म-स्थान में जान के महर का समय) मे होते हैं । नया जन्म लेने ही उम तीमरा गरीर धारण करना होता है । सूक्ष्म शरीर और आधुनिक विज्ञान इन चानीग वर्षों में परामनोविज्ञान के क्षेत्र मे सूक्ष्म शरीर से सम्बन्धित सफो प्रयोग परीक्षण हा है। उसम सुधम शरीर अनेक रहम्य बनाया है। निरनियान पोटाग्राफी वाभामण्टन का फोटो लेने मे सफल मिट म मे विमान जगन् नी धारणा भी उनी है कि इन स्थल शरीर मे परे नी त पुरट है । इसके भीतर हुम यहा सूक्ष्म जग है। मरते हुए आदमी 7 फोट' लिया गया, तव ऐसा लगा कि इस मागेर जंगी आवृति गरीर से बाहर आ रही है । प्रायमिक प्रयोगो ने हो पपता है इसे आरमा माना हो, पर वास्तव में यह सूक्ष्म शरीर ही है । आरमा अमूर्त है, वह दृश्य नहीं बन सकती । जैन-दर्शन के अनुसार सूक्ष्मतम मगर ज य त सहम चतु पर्शी परमाणु कधो से निर्मित है। प"माण स्वध दो प्रकार के होते हैं --चतुपर्शी और अयस्पर्शी । अटारी परमाणु रवधो मे भार हाता है। विधन-आदेश होता है। प्रस्फुटन होता है और स्पून अवगाहन हाता है उनमे टोम अवरोध के पाहर जाने पी क्षमता नही रोती । चतु स्पर्गी पुद्गान सघो मे भार नहीं रोगा। होते हैं, 7 भागे। उनमे विद्या आप नही होना । उनको पनि प्रतिलोती है। सम्पत्रित होती है। वे दीवार के पार जा मरते है । सूक्ष्मतम गेरी परमाओ ने बना हुआ होता है। पगमोदिन पी भाषा में पा जाता है यि सक्षम गरीर " पत्रिलोन" पणो मे निमित है । पम्प पुगनी पी भानि "न्यूनिलोन" चलो में भी भार, वियत-मादेश प्रापुटन नही होता । विशान उन यो प। भीतर माता है। पर गम्मत मानकरी मोनिर है, पोनर । हो पाता है दिन ये सारीपष्ट भापा नही, सलिए उसे भोपि रए देता है। इन बातमोर साकार पर सहम र र है। पर मोतिर है। पोदार है। चतु म्पनी पुगणे ने TH निलोन" पर भी जोरे सपने नहीं देरो गमरसे है। उस दूसरे रोमाद सर्प होता है त देन पर लगाते है।

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