Book Title: Jain Dharm Jivan aur Jagat
Author(s): Kanakshreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 170
________________ जैन मुनियो की पद-यात्रा और उसकी उपलब्धिया १४५ नैतिक चेतना को पुनर्जीवित किया है। गुरुदेवश्री ने अपने लगभग सात सौ साधु-साध्वियो को देश के नैतिक और चारित्रिक जागरण के पवित्र अनुष्ठान के लिए समर्पित कर रखा है । वे भारत के सभी प्रातो तथा उसके पडोसी देशो-नेपाल, भूटान सिक्किम तक पहुचते हैं और जैन-धर्म तथा अणुव्रत के सदेश को घर-घर पहुचाते हैं। गुरुदेवश्री तथा उनके शिष्य-शिष्याओ की पद-यात्रा के मुख्य उद्देश्य हैं-धर्मकाति, धर्म-समन्वय और नैतिक-जागरण। महान् उद्देश्य से की गई और की जा रही उनकी महान् पद-यात्राओ ने देश भर मे आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यो की पुन प्रतिष्ठा मे अद्भुत सफलता प्राप्त की है और उनके भविष्य मे सन्निहित है लोक-मगल की अनन्त-अनन्त सभावनाए।

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