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पूर्वजन्म और पुनर्जन्म
देवताओ के आवास उत्तरोत्तर उत्तम, मोह-रहिन और द्युतिमान होते हैं। वे देवो मे आवीण होते हैं। वहा रहने वाले देव यशस्वी, दीर्घायु, ऋद्धिमान, दीप्तिमान, इच्छानुसार रूप धारण करने वाले, अभी उत्पन्न हुए हो-~- एसी काति वाले और सूर्य के समान महातेजस्वी होते हैं ।
(उत्तराध्ययन ५/२६-२७) इसी प्रकार जैन-आगमो मे सभी प्रकार की जीव-जातियो का विस्तृत विवेचन मिलता है । उसके आधार पर पुनर्जन्म का सिद्धात सुस्पष्ट हो जाता
हिन्दु धर्म में सर्वप्रथम ऋग्वेद मे परलोक सबधी मान्यता की सूचना मिलती है । इसके बाद उत्तरवर्ती साहित्य मे प्रचुर सामग्री मिलती है । ऋग्वेद के अनुसार पुण्यात्मा परलोक मे अपना पुरस्कार प्राप्त करते हैं और हत्यारे अधागृह (पाताललोक) मे भेजे जाते हैं।
उपनिपद्, ब्राह्मण साहित्य तथा सहिता-साहित्य के अध्ययन से सिद्ध होता है कि हिन्दू-परम्परा मे भी पुनर्जन्म, पूर्वजन्म आदि की स्पष्ट अवधारणा है । जैनो की तरह वैदिक धर्म मे भी आत्मा को अनश्वर माना गया है।
बौद्ध धर्म यद्यपि अनात्मवादी है, क्षणिकवादी है फिर भी पुनर्जन्म की मान्यता उममे भी रही है। तथागत बुद्ध के पैर मे काटा लग गया। इसका रहस्य उद्घाटित करते हुए उन्होने कहा-"भिक्षुओ। इस जन्म से इकाणवे वल्प पूर्व मैंने किसी शस्त्र द्वारा एक पुरुप की हत्या कर दी थी। उसी कर्म के विपाक स्वम्प मेरा पाव वाटे से बिघ गया है।" जातक कथामो मे भी बुद्ध के पूर्वजन्मो की कथाए सकलित हैं । सयुक्त निकाय मे बुद्ध कहते हैं .."सभी जीव मरेंगे । मृत्यु मे ही जीवन का अन्त होता है। उनकी गति अपने कर्मानुसार होगी, पाप करने से नरक और पुण्य करने से स्वर्ग प्राप्त होता है, इसलिए सदा पुण्य कर्म करें, जिससे परलोक बनता है। अपना कमाया पुण्य ही परलोक मे काम आता है।"
बौद्ध-दर्शन की यह निश्चित मान्यता है कि सत्व (प्राणी) अनेक जन्मो मे ससरण कर अपने कर्मों का भोग करता है। उसमे भी वर्तमान जीवन के कर्मफल का सवध भावी जन्मो ते माना गया है।
जैन-दर्शन की भाति बौद्ध-दर्शन में भी योनिया मानी गई हैं, जिन्हे वुद्ध प्रवचन मे भूमिया कहा गया है। वे भूमिया चार हैं--(१) अपाय भूमि (दुगतिया - नरक, तियंच, प्रेत और असुर) (२) कामसुगत भूमि (मुगतिया-- मनुष्य और कुछ देव जातिया), (३) रूपावचर भूमि (विशिष्ट देव जातियां) और (४) अरूपाववर भूमि। इससे यह भी ज्ञात होता है कि बौद्ध दर्शन में जैन-दर्शन की भाति चार गतियो का सिद्धात भी मान्य