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३४ हे प्रभो ! तेरापंथ की वृद्धि हो, अहिंसा, अपरिग्रह की भावना पुष्ट होती हो, राग-द्वेष से विरति होती हो, वही क्रिया सही दया और दान है, अन्य प्रकार की क्रिया आत्मसाधना' से सम्बन्धित दान और दया नहीं हो सकती, उसे लौकिक दान या दया कह सकते हैं, पर वैसे दान और दया आत्मा को समुज्ज्वलता प्रदान करने में सहायक नहीं हो सकते । उन्होंने प्रतिपादित किया कि स्वयं की वृत्तियों में, सब प्राणियों के प्रति मैत्री भाव जागे व पीड़ा का भाव तिरोहित, हो जाए, वही अभयदान के स्वरूप में सही दान और दया है। आत्मसाधना से विमुख असंयम में संलीन प्राणी का न जीना श्रेयस्कर है, न मरना । अतः उसके जीवन की आकांक्षा करना मात्र मोह राग ही हो सकता है या मरने की आकांक्षा द्वेष का कारण हो सकता है। पर इससे उसे धर्म से सम्बन्धित नहीं किया जा सकता। अलबत्ता किसी प्राणी के कर्म-बन्धन से मुक्ति की कामना करना, प्रेरणा देना या उसमें प्रवृत्त करना वीतराग देव द्वारा निर्देशित मार्ग है। स्वामीजी की इन मान्यताओं का समाज में भयंकर विरोध हुआ क्योंकि पूंजीवादी व्यवस्था पर आधारित समाज जो धन से धर्म खरीदना चाहता है अथवा शोषण व संग्रह कर किंचित् धन किसी को विपन्न रखकर लुटाने को दान बताता है, उसकी खोखली मान्यताएं इन शाश्वत सत्यों के आगे टिक न सकीं तथा परम्परागत रूढ़िवादी धर्म और पुण्य के तथाकथित संस्कार हिल गए, और अध्यात्म के जगत् में एक नई विचार-क्रान्ति की हलचल मच गई।
स्वामीजी ने धर्म का सम्बन्ध किसी प्राणी के मरने या जीने से विलग कर अहिंसा, असंगता व अभय भावना से जोड़ दिया। स्वामीजी की उपरोक्त मान्यताओं के निम्न निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं
१. धर्म और अधर्म का मिश्रण नहीं होता। २. गृहस्थ व साधु का मोक्ष धर्म एक है। ३. अशुद्ध साधन से शुद्ध साध्य प्राप्त नहीं होता। ४. अहिंसा और दया सर्वथा एक है। ५. बड़ों के लिए छोटे प्राणी की घात पुण्य नहीं है। ६. हिंसा से धर्म नहीं होता। . ७. लौकिक व आध्यात्मिक धर्म एक नहीं है। ८. आवश्यक हिंसा अहिंसा नहीं है ।
स्वामीजी ने अनेकानेक दृष्टान्तों व काव्य रचनाओं द्वारा उपरोक्त मान्यताओं को सम्पूर्ण अभिव्यक्ति दी, पर मिथ्याग्रह व स्वार्थ-भावना के कारण इन मान्यताओं को विकृत रूप में प्रस्तुत किया गया व दो शताब्दियों तक इनके कारण स्वामीजी व तेरापंथ की कुत्सित आलोचना की गयी। युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी ने गत तीन दशक से वर्तमान युगीन भाषा में, दर्शन की गहराइयों को
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