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६६ हे प्रभो ! तेरापंथ
• गण के जीवन पर्यन्त साथ ही रहे व उनके हर कार्य में सहयोग देते रहे ।
आचार्य पद पर
श्रीमद् मघवा गणि ने संवत् १९४६ का मर्यादा महोत्सव सरदारशहर में किया । चातुर्मास के समय से उनका शरीर अस्वस्थ चल रहा था । बाद में बीमारी बढ़ती गई और शक्ति क्षीण होती गई । बड़े कालूजी स्वामी तथा मोतीजी स्वामी के निवेदन पर चिंतन करके आपने भावी शासन - प्रबन्ध के विषय में व्यवस्था की । १९४६ फागुण सुदि ४ को 'माणक मुनि' के नाम युवाचार्य का नियुक्ति पत्र लिख कर महासती नवलोंजी को दे दिया, पर प्रकट नहीं किया । चैत वदि २ को आम जनता में माणक मुनि युवराज घोषित किए गए तथा उन्हें सम्मानित किया गया । चैत वदि ५ को श्री मघवा गणि ने आपको, साधु-सतियों को तथा श्रावक समाज को संघ - हित में संघ की मर्यादाओं और गुरु की आज्ञा पालन करने को प्रेरित किया । कुछ समय बाद स्वर्ग प्रयाण कर दिया। चैत वदि ६ को आपका पट्टाभिषेक हुआ, उस समय ७१ साधु २०५ साध्वियां संघ में थीं ।
आपकी आकृति सुन्दर तथा कद लम्बा था, पर प्रकृति इतनी कोमल थी कि सर्दी के प्रकोप में कभी १-२ लौंग या काली मिर्च लेते तो शरीर पसीना-पसीना हो जाता । आपका कंठ मधुर, सुरीला था व आपके ओज भरे व्याख्यान से जनता बहुत प्रभावित होती थी । आप स्वभाव से दयालु थे । साधु साध्वियों की सुखसुविधा का पूरा-पूरा ध्यान रखते थे । आपकी वृत्ति में संघ के हर सदस्य के प्रति उदार एव सौजन्य भावना थी । आपको देशाटन की बहुत रुचि थी, १३-१४ मील (२०-२२ किलोमीटर) का विहार आपकी सामान्य प्रवृत्ति थी । संवत् १६५० में सरदारशहर चातुर्मास कर आप हरियाणा प्रदेश पधारे, हांसी में मर्यादा महोत्सव किया तथा पैर में कांटा लगने व एड़ी में मवाद हो जाने से हिसार में २७ दिन विराजे । हरियाणा प्रांत में तेरापंथ के आचार्य का प्रथम पदार्पण था । संवत् १९५२ में आपका जयपुर चातुर्मास अत्यन्त प्रभावक रहा, २० हजार यात्रियों ने वहां आपके दर्शन किए।
सुरलोक गमन और चिन्ता
संवत् १९५४ का चातुर्मास आपने सुजानगढ़ में किया, वहां अकस्मात आसोज दि २ को आपको तेज बुखार व दस्तों की शिकायत हो गई । अनेक उपचार करने पर भी लाभ नहीं हुआ । शारीरिक दुर्बलता बढ़ती गई । यति केवलचन्दजी ने भी आपकी हालत चिन्ताजनक बताई । सारे संघ में उदासी छा गई । गुरुकुलवासी श्री मगनलालजी स्वामी आदि ने विनयपूर्वक भावी प्रबंध के लिए निवेदन किया, पर आपको ज्योतिष पर अधिक विश्वास था । आपकी जन्म कुण्डली में ६२ वर्ष
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