Book Title: He Prabho Terapanth
Author(s): Sohanraj Kothari
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 196
________________ परिशिष्ट १८३ स्वीकर्ता मुनि । साध्वी.... संवत्'माह"मिती उपरोक्त लेखपत्रों में उल्लेखित मर्यादाओं की परिपालना जब तक तेरापंथ के साधु-साध्वीगण करेंगे तथा संघ सजग रहकर अप्रमत्तता की ओर बढ़ेगा, तब तक तेरापंथ धर्मसंघ अजेय बना रहेगा और मानवता का पथ प्रशस्त कर जनता को अध्यात्म का आलोक देता रहेगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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