Book Title: He Prabho Terapanth
Author(s): Sohanraj Kothari
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 151
________________ :१३८ हे प्रभो ! तेरापंथ व्याख्यानी। साध्वी मुखोंजी, चंदोंजी, प्यारोंजी, अणचोजी उस समय की प्रमुख तपस्विनें -साध्वियां-मुखोंजी ने आछ के आगार नौ महीने की तपस्या की। साध्वी दाखोंजी (दिवेर), संतोकोंजी (चूरू), कमलूजी (राजलदेसर), रूपोंजी व भत्तूजी (सरदारशहर), झमकूजी (राजलदेसर)--ये सब साध्वीप्रमुखा झमपूंजी के समय व बाद में विशेष कार्यशील व सेवाभावी रहीं। साध्वी संतोकोंजी ने पति छोड़कर बहत वैराग्य से दीक्षा ली-कला में सुघड़ व साध्वीप्रमुखा कानकंवरजी के आंखों की सफल शल्य चिकित्सक । माध्वी लिछमोंजी (सुजानगढ)-मघवागणि की प्रथम शिष्या, सवा आठ वर्ष में दीक्षित व सोलह वर्ष में अग्रगण्य । साध्वी फूल कंवरजी (मांढा), तानूजी (फलौदी), सूबटोंजी (राजलदेसर), दांखोंजी, हस्तूजी (माखुणदा), पार्वतोजी (छापर), छजोनोंजी (देशनोक). फेफांजी (कांकरोली), निजरकंवरजी (लाडनं) ये सभी उल्लेखनीय अग्रगण्य साध्वियां थीं। इनमें से कई व्याख्यान कुशल, कई निर्भीक व साहसी व कई तपस्या व अनशन में विलक्षण हुई। ____ आपके समय में अनेक विशिष्ट तत्त्वज्ञ, शासन हितैषी, सेवापरायण, साहित्यकार, कवि, चर्चावादी व विशेष प्रभावक श्रावक हुए व संघ संपदा में अपार अभिवृद्धि का श्रीगणेश हुआ और ऐसा लगा कि एक नये युग का उदय हो रहा है तथा विकास की किरणें विकिरण हो रही हैं । आपके शासनकाल में तपस्या के महत्त्वपूर्ण आंकड़े इस प्रकार हैं१. नव मासी (आछ के आगार) साध्वी मुखोंजी २. छः मासी (""") मुनि रणजीतमलजी ३. साढ़ा तीन मासी'' ४. दो मासी-मुनि रणजीतमलजी दो बार, हुलासमलजी व सुमुखांजी एक एक बार। ५. पचपन दिन-मुनि सुखलालजी ६. चौहन दिन-मुनि रामलालजी ७. वेपन दिन - साध्वी सुखांजी ८. बावन दिन ---मुनि सुखलालजी, मुनि रणजीतमलजी ६. इक्यावन दिन --मुनि कुंभकरणजी, मुनि सुखलालजी १०. डेढ़ मासी-(४४ से ४७ दिन)-सन्तों में ५, सतियों में एक ११. ३२ से ४१ दिन-सन्तों में १६, सतियों में १० १२. ४७ दिन छाछ के आगार-मुनि रणजीतमलजी १३. मासखमण २७ से ३१ दिन संतों में ३६ सतियों में २१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206