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१५० हे प्रभो ! तेरापथ दीर्घवय स्थविर, दीक्षा स्थविर, अग्रणी, स्थिरवासो, युगदशक
१. वय स्थविर
आपके शासनकाल में मुनिश्री मगनलालजी ने ६१ वर्ष (संवत् १९२५-२०१६) व मुनि श्री खूबचन्दजी ६६ वर्ष (१६४६ से २०४२) की आयु प्राप्त की। मातु श्री छोगोंजी ने ६५ वर्ष (संवत् १६०१ से १६६६) की तथा श्री बदनोंजी ने ६७ वर्ष (संवत् १६३६ से २०३३) की आयु प्राप्त की।
२. दीक्षा स्थविर
आपके शासन काल में मुनि छबीलजी ने संवत् १९२८ से संवत् २००२ तक लगभग ७४ वर्ष तथा मुनि मगनलालजी ने संवत् १६४३ से २०१६ तक ७३ वर्ष और साध्वी लाडोंजी ने संवत् १९५५ से २०३७ तक ८२ वर्ष तक संघ में संयम साधना की।
३. अग्रणी
आपके शासनकाल में मुनि चंपालालजी (राजनगर) संवत् १९६६ से २०२९ तक ६० वर्ष व साध्वी लाडोंजी (लाडनूं) संवत् १९६४ से २०३७ तक ७३ वर्ष अग्रणी रहे।
४. स्थिरवासी
मुनिश्री पूनमचंदजी (पचपदरा) संवत्.१९६८ से १६६७ तक २६ वर्ष जयपुर में तथा साध्वी लाडोंजी संवत् २००४ से २०३७ तक ३३ वर्ष डूंगरगढ़ में स्थिर वासी रहे।
५. छः आचार्य युगदर्शक
१. मुनि छबीलजी, २. साध्वी भूरोंजी, ३. साध्वी गंगोजी, १४. साध्वी जय कुंवरजी, ५. साध्वी किस्तूरोंजी ६ भूरोंजी, ७. साध्वी जडावोंजी (बोरावड) ने श्रीमद् जयाचार्य से लगाकर आचार्यश्री तुलसी का काल देखा।
६. सर्वोपरि पुरस्कार
संवत् २००१ माघ शुक्ला ७ को सुजानगढ़ में आचार्यश्री ने मंत्री मुनि
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