Book Title: He Prabho Terapanth
Author(s): Sohanraj Kothari
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 187
________________ १७४ हे प्रभु! तेरापंथ ३. दीक्षा देणी ते पिण भारमलजी रे नामे देणी। दिख्या देने आण सूपणो। उद्देश्य चेला री कपड़ा री साता कारियां खेतरो री इत्यादिक अनेक बोले री ममता करने अनंता जीव चारित गमाय ने नरक निगोद मांहे गया छ । वले भैषधार्यो रा एहवा चेन देख्या छै तिण सूं सिखादिक री ममता मिटावण रो ने चारित चोखो पालण रो उपया कीधो छ। विनय मूल धर्म ने न्याय मारग चालण रो उपाय कीधो छ। सिख शाखा रो संतोष कराय ने सुखे संयम पालण रो उपाय कीधो छ। समर्थन साधु-साध्वियों पिण इम हिज कहियो१. भारीमालजी री आगन्या मांहे चालणो। २. सिख करणा ते सर्व भारीमालजी रे करणा । औरो रे करण रा त्याग छ जीव जीव लगे। ३. भारमलजी पिण चेलो करे तेपिण बुधवंत साध कहे ओ साधपणे लायक छ, बीजा साधो ने परतीत आवे तेहवो करणो बीजा साधो ने परतीत नहीं आवे तेहवो नहीं करण । कीधो पिछ पिण कोई अजोग हुवे तो बुधवंत साधारे कह्यो स छोड़ देणो, किण ही घेरवी कह्यो सूं छोड़णो नहीं। ४. नव पदार्थ ओलखाय ने दीक्षा देणी। ५. आचार पाला छां तिण रीते चोखो पालणो। इण आचार मांहे खामी जाणो तो अबारू कही देणो पछ माहो मांही ताण करनी नहीं। किण ही में दोष भ्यास जाए तो बुधवंत साध री परतीत कर लेणी, पिण खांच करणी नहीं। ६. भारमलजी री इच्छा आवे अथवा जद गुरु भाई अथवा चेलो ने टोला रो भार संपे जद सर्व साधु-साध्वी उणरी आगन्या मांहे चालणो। एहवी रीत परम्परा बांधी छ । सर्व साधु-एकण री आगन्या माहे चालणो। एहवी रीत बांधी छ, साधु साध्वियां रो मारग चले जठा ताई । ७. कदा कोई अशुभ करम रे जोगे टोला मांय फारा तोरो करने एक, दो, तीन आदि नीकले, धणी धुताई करे, बुगल ध्यानी हेवे । त्यांने साधु सरधणो नहीं, च्यार तीर्थ माहे गिणणो नहीं, त्याने चतुर्विध तीर्थ रा निंदक जाणवा, तेहवाने बांदे वे पिण जिन आज्ञा बारे छ। ८. कदा कोई फेर दीक्षा लेवे और साधो ने असाध सरधायमानें, तो पिण उणने साधु सरधणो नहीं। उण ने छड़वियां तो वो आल दे काढे, तिण री एक बात माणणी नहीं । उण तो अनंत संसार आर कीधो दीसै छ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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