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१६२ हे प्रभो! तेरापंथ दिशा में 'जीवन विज्ञान' विषय पर प्रेरणा दी।
४. धर्म, तत्त्व ज्ञान, जीवन दर्शन, योग, साहित्य पर सैकड़ों पुस्तकें लिखकर श्रेष्ठ साहित्य का विपूल सृजन किया।
५. अतीन्द्रिय ज्ञान व ध्यानयोग में अच्छी गति प्राप्त की। विश्व का समूचा अध्यात्म जगत् आप जैसे संत, मनीषी, दार्शनिक पाकर धन्य है।
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