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- १५८ हे प्रभो ! तेरापंथ
अनुशासन रैली (मौन) निकली | श्रीमद् जयाचार्य के समग्र साहित्य का संकलन और सम्पादन हुआ और क्रमशः यह प्रकाशित हो रहा है ।
७. आचार्यश्री तुलसी अमृत महोत्सव चार चरणों में
संवत् २०४२ में आचार्यश्री के शासनकाल के पचासवें वर्ष के उपलक्ष में
मनाया गया ।
१. प्रथम चरण – अक्षय तृतीया के अवसर पर गंगापुर में मनाया गया।
२. द्वितीय चरण - भादवा सुदि ६ को आमेट में विराट जनाभिनन्दन के रूप में मनाया गया। करीब चालीस हजार व्यक्ति सम्मिलित हुए ।
३. तृतीय चरण - उदयपुर में माह सुदि ५ से ७ तक मर्यादा - महोत्सव के अवसर पर मनाया गया । माह सुदि ५ को भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंहजी ने आचार्य प्रवर का अभिन्नदन किया एवं सुदि ६ व ७ को विभिन्न संस्थाओं और जनता ने शुभकामनाएं प्रकट कीं । लगभग ३० - ३५ हजार व्यक्ति उपस्थित रहे । जैन समन्वय सम्मेलन एवं जीवन-विज्ञान शिक्षा सम्मेलन के ऐतिहासिक आयोजन हुए । ४. चतुर्थ चरण
-बोध-स्थल राजनगर में महावीर जयन्ती के अवसर पर मनाया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय अणुव्रत परिषद् एवं अहिंसा सार्वभौम सम्मेलन के महत्त्वपूर्ण आयोजन हुए ।
इसके अलावा अन्य महत्त्वपूर्ण आयोजन भी समय-समय पर होते रहे जिसमें - निम्नलिखित आयोजनों का विशेष उल्लेख किया जा सकता है
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१. युवाचार्य मनोनयन
संवत् २०३५ माघ शुक्ला ७ दिनांक ४-२-७६ को आपने मुनि नथमलजी को, पूर्व में 'महाप्रज्ञ' विशेषण से सम्मानित कर, युवाचार्य मनोनीत किया । उस समय युवाचार्यजी ५६ वर्ष के थे तथा विश्रुत विद्वान, अध्यात्म योगी, अंतरप्रज्ञा के उद्घाटक, प्रबुद्ध साहित्यकार एवं गहन दार्शनिक के रूप में प्रख्यात हो चुके थे । आयु, अनुभव, प्रज्ञा, साधना सभी दृष्टियों से प्रौढ़ व परिपक्व युवाचार्य के मनोनयन का यह पहला अवसर था ।
२. आचार्य भिक्षु निर्वाणोत्सव (११- वां) सिरीयारी में
संवत् २०३९ के भादवा सुदि १३ को सिरीयारी में स्वामीजी के समाधि स्थल पर निर्वाणोत्सव मनाया गया, जिसमें खुली नदी के पाट में लगभग ५० (पचास ) . हजार व्यक्ति सम्मिलित हुए व नव निर्वाचित राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह विशेष रूप
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