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५४ हे प्रभो ! तेरापंथ
दीक्षित किया । संवत् १९४२ में जोधपुर में साध्वीप्रमुखा गुलाब सती के स्वर्गवास पर श्री मघवा गणी ने आपको साध्वी-समाज का प्रमुख पद दिया । आप बारह वर्ष तक इस पद पर रहीं । आपने तीन आचार्यों की सेवा करने का अवसर पाया। आपमें समता, सहनशीलता, उद्योग-परायणता, स्वाध्याय-रुचि आदि विशेषताएं कूटकूटकर भरी थीं। आपका गुरु-दृष्टि का सर्वांश-आराधन बेजोड़ था । आपका स्वर्गवास संवत् १९५४ के आसाढ वदि ५ को बीदासर में अत्यन्त चित्त-समाधिपूर्वक हुआ । अष्टमाचार्य कालगणीजी की माता साध्वी छोगोजी तथा मौसेरी बहन कानकुंवरजी दीक्षा लेने के बाद संवत् १९५४ तक आपके पास ही रहीं और आपकी शिक्षाओं ने ही उन्हें संघ में गौरव प्रदान कराया।
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