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१० हे प्रभो ! तेरापंथ
'शासन स्तंभ' से उपमित किया । २. श्री कालूगणि
अष्टमाचार्य का जीवन वृत्तान्त आगामी पृष्ठों में दिया जा रहा है। ३. महासती छोगोंजी ____ आप अष्टमाचार्य श्रीमद् कालूगणिजी की माता थीं। आपका जन्म सवत् १६०१ आसाढ़ वदि १४ को कोडासर (बीकानेर सम्भाग) के नरसिंहदासजी लूणिया व उनकी धर्मपत्नी गोगों देवी के घर हुआ। १६ वर्ष की अवस्था में आपका विवाह 'ढंढेरू' गांव के मूलचन्दजी कोठारी के साथ हुआ जो बाद में छापर आकर बस गए । ३३ वर्ष की अवस्था में आपके मात्र एक संतान पुत्र 'शोभा चन्द' (बाद में नाम कालूराम) हुआ । गर्भ में आने के पूर्व ही पुत्र ने मां को रक्षा करने की चेतावनी दे दी थी। जन्म के तीन दिन बाद एक राक्षस ने रात्रि में आकर उत्पात किया पर आपने 'कालू' को छाती से चिपटा कर रखा तथा राक्षस को डांट दी, जिससे घबराकर वह अदृश्य हो गया। 'काल' जब मात्र साढ़े तीन माह के थे तब आपको पति वियोग हो गया। आप अपने पीहर कोडासर तथा बाद में श्री डूंगरगढ़ आकर रहने लगीं । संवत् १९४१ में साध्वी श्री मृगोंजी ने पावस प्रवास में आपको पुत्र सहित दीक्षा की प्रेरणा दी, उसी वर्ष आपने सरदारशहर में मघवा गणि के दर्शन किए । आपमें वैराग्य भावना बलवती होती गई। अपने बच्चे तथा बहन की पुत्री कानकुंवर में भी आप वैराग्य भावना भरती एवं बढ़ाती रहीं। संवत् १६४४ के आसोज सुदि ३ को आपकी, श्री कालूजी की और श्री कानकुंवर जी की दीक्षा श्रीमद् मघवा गणि के हाथों बीदासर में हुई। फिर आप अधिकांश गुरु कुल वास में रहीं । संवत् १६५५में कानकुंवरजी के अग्रणी बनने पर उनके साथ रहीं । संवत् १६६६ के भादवा सुदि १५ को श्रीमद् कालगणि आचार्य पद पर आसीन हुए तब से पांच वर्ष तक आप गुरुदेव के साथ रहीं । गुरुदेव ने काम-काज, बोझ-भार तथा आहार का पांती से आपको मुक्त किया और चार साध्वियां सेवा में दीं । बाहर मारवाड़ मेवाड़ की यात्रा में जाने के कारण, गुरुदेव ने संवत् १९७१ पौह वदि १२ को आपको बीदासर स्थिरवास में रख दिया । गुरुदेव प्रतिवर्ष आपको शेष काल में १-२-४ बार सेवा का लाभ देते। उन्होंने संवत् १९७६, ८२ व ८८ में आपके कारण बीदासर में वर्षावास बीताए । आपके कारण बीदासर में साधु-साध्वियों का अधिक आवागमन रहा जिससे बीदासर तीर्थ बन गया। श्रावक-श्राविकाओं में भी तत्त्व ज्ञान एवं तपस्या की अभूतपूर्व वृद्धि हुई । आप स्वयं उच्चकोटि की तपस्विनी हई, आपकी तपस्या के आंकड़े इस प्रकार हैं
उपवास १/३६१४, २/१५८६, ३/८६, ४/१७, ५/११, ६/१, ११/२,
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