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५० हे प्रभो ! तेरापंथ
भेजा । आपकी भावना के अनुरूप आपका देहावसान संवत् १९४२ भादवा सुदि १० को हुआ । तब श्री मघवागणि का चातुर्मास जोधपुर में था । अन्त समय तक वे सेवा, दर्शन व अध्यात्म - लाभ देते रहे ।
२४. फौजमली तलेसरा ( नाथद्वारा ) - महान् श्रावक, गुरुभक्त, राज्यसम्मानित । आपकी हवेली में संवत् १९०७ से ८७ तक ८१ वर्ष आचार्यों
साधु-साध्विओं के लगातार चातुर्मास हुए। आप महान् गुरुभक्त थे । प्रतिवर्ष गुरु-सेवा में जाते व ठाट-बाट से काफी समय सेवा करते ।
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