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तेरापंथ का निर्माण व युवाकाल में प्रवेश. ७६
१६. हेमजी कच्छावत (गोगुन्दा)- दृढ़ श्रद्धालु, चर्चावादी एवं गहरे संस्कारी। १७. ताराचन्दजी ढीलीवाल (चित्तौड़)-सेवानिष्ठ, समाचार-प्रेषक,
दानदाता। १८.. दुलीचंदजी दूगड़ (लाडनूं)- अगाध निष्ठा, निश्छल, निर्भय, अध्यात्मशील। ... मुनिपतजी की दीक्षा सम्बन्धी उपसर्ग में शासन-सुरक्षा हेतु अग्रणी श्रावक । १६. संतोषचन्दजी सेठिया (रीडी) - राज्य में सम्मानित, व्यवहारकुशल, नीति
निपुण एवं कर्मशील श्रावक । २०. नगराजजी बैगाणी (बीदासर)- भविष्यद्रष्टा, सत्परामर्शी, दृढ़धर्मी। २१. मेघराजजी आंचलिया (सरदारशहर)- सरदारशहर के सामूहिक श्रद्धा
स्वीकरण में अग्रणी, आत्म नियंत्रक, जयपुर से आपके नाम पत्र ने सरदारशहर का कायापलट कर दिया । टालोंकरों से भ्रमित लोगों ने सामूहिक
श्रद्धा स्वीकार की। २२. शोभाचंदजी बैगाणी प्रथम (बीदासर)- स्थली प्रांत के प्रथम श्रावक ।
तेरापंथ प्रचार के प्रेरक । श्रीमद् ऋषिराय के प्रथम चातुर्मास में अनुपम
सहयोग । निर्भीक एवं सत्यनिष्ठ श्रावक । २३.
बहादुरमलजी भण्डारी (जोधपुर)-राज्य के उच्चाधिकारी एवं मंत्री परिषद के सदस्य । राज्य व्यवस्था में सुधार करने वाले, दृढ़ श्रद्धालु एवं शासन-सेवी । श्री मुनिपतजी की दीक्षा के संबंध में जोधपुर के राजा ने जब श्रीमद् जयाचार्य व श्री मुनिपतजी के नाम वारंट जारी करवाए तब आपने बुद्धि-कौशल व चातुर्य से राजमहल में जाकर रात्रि को राजा को प्रभावित कर वारंट निरस्त करने का आदेश प्राप्त किया। अपने पुत्र के साथ शीघ्रगामी वाहन ऊंटनी से वारंट पहुंचने के पूर्व उसे लाडनूं भिजवाया। उनकी इस अद्वितीय सेवा से प्रसन्न होकर श्रीमद् जयाचार्य ने पुरस्कारस्वरूप अगला चातुर्मास (संवत् १६२१ का) जोधपुर में किया । संवत् १९२४ में साध्वी भूरोंजी की दीक्षा को लेकर विग्रह चला। उसके समाधान में भी भण्डारीजी का सहयोग रहा। इसी कारण संवत् १९२५ का चातुर्मास फिर जोधपुर को मिला। श्रीमद् जयाचार्य से लगाकर श्रीमद् कालूगणिजी तक आचार्यों के छ: चातुर्मास आपकी हवेली में हुए। सारे चातुर्मासों में आपकी व आपके वंशजों की पूर्ण सेवाएं रहीं। आचार्यश्री तुलसी के शासनकाल में भी आपके वंशज श्री संपतमलजी भण्डारी व श्री जबरमलजी भण्डारी की अनुपम शासन-सेवाएं रही हैं । जोधपुर में तेरापंथ के उदय और उत्कर्ष का इतिहास बहादुरमलजी भण्डारी व उनके परिवार के उदय व उत्कर्ष के साथ ही जुड़ा है। श्रीमद् जयाचार्य के स्वर्गवास के समय आपके परिश्रम से शवयात्रा के समय जयपुर राज्य ने लवाजमा
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