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(२०)
18- 23. मनो मूढ कथा ( 3 ) - कंठोष्ठनगर में भूतमति ब्राह्मण, उसकी पत्नी यशा और शिष्य यश । ब्राह्मण के जाने पर दोनों में संबन्ध | ब्राह्मण का आगमन । वह दोनों को खोजने निकला पर यशा पत्नी और यश शिष्य को उस ब्राह्मण ने नहीं पहचान पाया
24. व्युग्राही मूढ कथा ( 4 ) - दुर्धर राजा उसका दानी जात्यन्ध पुत्र । लोहदण्ड से उसपर प्रहार करना
1.
2-3 आम्रमूढ कथा ( 6 )
4-6. क्षीर मूढ कथा ( 7 )
7. अगुरु मूढ कथा (8)
8.
9.
पित्तदूषित मूढ कथा (5)
तृतीय सन्धि
14.
गजरथ और मंत्री का संवाद
धन की महिमा
10. चंदन का बेचना और दुःखी होता
15.
खेत की चंदन लकड़ी काटना और फिर कोदों बोना
11. चंदनत्यागी मूर्ख की कथा ( 9 )
12-13 चार मूर्खों की कथा ( 10 )
मथुरा नरेश उपशान्तमन को पित्तज्वर और उसकी शान्ति कथा
सर्वाधिक मूर्ख कोन है, इसका निश्चय
करना
प्रथम मूर्ख कथा - मूषक द्वारा आंख का जलाया जाना और विषमेक्षण नाम रखना
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यहां भी संसार का चित्रण है, नारी और कामुकता का भी 6.1-95
7.1-19
7.20-28
7.29-62
7.63-96
8.1-9
8.10-21 हरिषेण ने विस्तार
नहीं किया
8.22-34
8.35-49
8.50-73
8.92-95
9.4-20
द्वितीय मूर्ख कथा - दोनों पत्नियों ने दोनों 9.21-43 पैर तोड़ दिये और उसका कूटहंसगति
नाम रख दिया ।
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