Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur
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१२५
पत्ता- किर परमाणंदें वंदिणसट्टे लंकउरिहि जाव चलिउ ।
ता तिहुयणचंदहो वालिमुणिदहो उवरि विमाणु झत्ति खलिउ ॥१५॥
(16)
तो भणइ दसाणणु माणमलणु ति भणिउ देव कइलासि साहु तहो वततेएँ सयखंड जाम एत्थंतरि रावणु कुद्धचितु अहव। कह थंभइ महु विमाणु विज्जए महियलु दारणु करेवि स मुणिवि समुद्दे किर खिवइ जाम उवसग्गु मुगिहि अवहिए मुणेवि सहसा एंतूण फणीसरेण वेउवणाइ हुउ गरुउ जित्थु
कि किउ मह माम मरीइ खलणु । अच्छइ जोएंत व सिरिसणाहु । गच्छइ ण जाणु उ सारि ताम । चितइ एयहो मायाचरित्तु । तो वरि एयहो णिद्दलमि माणु। 5 कइलासु महीहरु उद्धरेवि । आसणु कपिउ फणिवइहे ताम । णियकज्ज एउ महु इउ गणेवि । मुणि वंदिउ भत्तिए णियसिरेण । तणुभारे भारिउ गिरि वि तित्थु । 10
घत्ता-हुउ कुम्मायारउ मुणि अवयारउतारावणु दुहु पावइ ।
कय साहु अगिट्ठहो पयइए दुट्ठहो कासु महावइ णावइ ।।१६।।
(17)
गुरुगिरिभरुपाविय वहु दुहेण तं णिसुणेविगु गुणगोयरीए भत्तारभिक्ख मग्गिउ फणिदु मिल्लेविण माणकसायगा हु जो वालि भणि उ इय गुरु महंतु सो किर दरिसिय घणु लाहवेण तं अलिउ भाण उ तेग वि ण भंति णियमेण महागुणु तउ चरंति
अइराउ मुक्कु गुरु दहमुहेण । भयकंपमाण मदोयरिए। खमियम्मि वि णिग्गउ णिसियरिंदु । णिदिउ अप्पाणु णविवि साहु । वम्मीए सो वाणरु पवुत्तु । सुग्गीवकज्जे हउ राहवेण । ण उ चरिमदेह मारिय मरंति । णाणेव मोक्खफरु पइ सरंति ।
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(16) 1.b रणइ for भणइ, a. in margin for मरीइ explains हे मारीचे.
2.b कईलासि साहुँ, b साणहुं, 3.a जाव, a ताव, 4.b चितई, 5.b थंभई महं, 6.a महियल, b दारुणु, b कइंलासमहीहर, a उद्धेरेवि, 7.b खिबई, b फणिवई ति for फणिवइहे, 8.a उवसग्ग, b मुणिवि for मुणिहि, b भणेवि for मुणेवि, b मुणेवि for गणेवि, 9.bणयसिरेण, 10.b. omits हुउ, 1.b हुंउ कुम्मायारउं मुणिअवयारउं, b दुहु पावई, 12.a पवइ for पवइए, b महावई णावई।
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