Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 281
________________ १४७ णिसियर णिसि भुजिवि गइय जाम वणियवरु वि एक्कु जि पर थक्कु ताम । भुयमहंतपहावें तहि पय? पुणु सो तहि विणिठु सयलहहि दिछु । राएँ पभणिउ एह केम आउ दट्टउ महंतु महु चोज्जु जाउ। रायहो आएसि सो गिविठ्ठ पुणु वणिवरु गुत्तिहि णेवि छ? । तहि कालइ हउ वि आयाण भाव णिसि गइय सूरु उग्गमिउ ताम। 5 राएँ पणिउ वणिवरु बरिठ्ठ महु सत्तभूमि तुहु कि म पइछ । ति भणिओ देव जइ अभओ लहमि वित्तंत्तु सयल हउ तुम्ह कहमि । तुह णयरहो पासि मणोहिराम पंच उग्गम उडु सुपसिद्ध णामु । घत्ता- तहि हउ णिवसंतउ सुहि अच्छंतउ रहणेउरपुर आउ हउ। विवहारु ण सरियउ रवि अच्छमियउ तहि मइ पइ सणहलद्ध णउ ॥७॥ 10 (8) 5 चंडीमंदिरे अइ वसि उ जाम खटुंगकवालतिसुलधारिया ताह उ अवलोयेमि लयउ वाह तहो मंतिपहावें एत्थ आउ । तुह सहु भुंजिउ मइ इत्थु जाम तहु वयणु सुणेवि कंपिउ दव स्ति जो गुरकेर उवएसु कुणइ पंचिदिय पसरु गिरोहु कुणइ जाणिउ किउ एयहो सुह पणामु अमरउ रिउव्व सोहाजुयाउ किलिक्लिहि भूययाल ताम । ___जाइणि साइणि सहु तेवि चलिया । महाणखंडु महु दिण्णु ताह। तुह पासि तेहि महु दिण्णु ठाउ। ते सयल वि गय हउ थक्कु ताम। णिसिभोयणु वज्जिउ तेण झत्ति । जो धम्मु असेसु वि सयलु मुणइ । तह लेउ वि परलोउ गणइ । सो चलियउ रावहो करि पणामु । मइ सहिउ एउ चित्तवडि आउ। 10 घत्ता-जा अच्छमि तहि पुरि सिरिवालहो घरि लायण्णउ तें दिठ्ठ महु । . तहो ताएं दिणि पुणु अवइण्णी सयलहु लोयहो जाणिवि सुहु ॥८॥ (7) 1.b जामा, b वणियवरुपक्कपर क्कु तामा, a एकु, 2 b भुवगंत. b. omits तहि, a णिविट्ठ, b सयलहंमि, 3.b सए पभाणेओ इहुँ, b चोज्जु, 4.b णिवठ्ठ, b वरु णेविणु मुत्ति छुछु, 5.b अयाण्ण भावा, b. omits तहि कालइ etc. to line, 6. पइठ्ठ, 7.b देहि for लहमि, b सयलु तं तुहु कहेहि, 8.b तुह णय and leaves the space blank to जो धम्म असेसु वि and begins with सयलु मुणइं ॥ 8.a णासु for णामु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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