Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 300
________________ चारुचक्का ३.८ चालीस ६.८ चिकिच्छिय ७.८ चित्ताए ४.२४ चित्तंग / चित्तंगउ ८.१ विधी ८.१७ चिर २.२१ चीररहिउ ५.११ चुल्लीसमीवे ७.४ चूयकहाणउ ३.१ चोरहि ३.१६ चंदवइ ७.१६ चंपापुर ३.१, ८.३ छ ८.१५ छक्कम्मरय १.१८ छक्काल ४.१ छज्जोयण ८.१५ छटठ ६.१९ छड्दिउ ४.२१ छण्णवइ ९.२३ छलिउ ५.९ छहत्तर ६.४ छाया २.१५, ४.८, ५.६ छिज्जइ ५.१९ छिष्णु ५.४ छत्तइ १.१० छित्तणट्ठ ५.७ छिद्दणिवेस ४.१२ छुट्टइ ११.१० छुहतहाइ ६.१८ छुहिण ९२ छोहारदीउ ३.४ छंगुल ६.११ छंदालंकार १.१, ११.२६ इच्छिणु ४.५ Jain Education International जगरा में १. १ जइसेहरु ५.२ जज्जरिउ ४.१७ जजमाणेण ४.७, जण सुय २.१८ जणि ७.१६ जणणियाए ८.३ जणु वट्टु २.१८ जत्थ १.११ ५.४ जम्मवइ ६.२ जमकीला २.१५ जमपास ४.१९ महो ४.१८ जरसंधु ८.४, ९.९, ११.१५ जरियो २.१३ जलणिहि पमाण ६.१३ जलुकच्छ ६.१८ जहण्णु ६.१६ जहणंसु६.१४ जहि १.२ जाण - पहाण ९.२४ जाणिज्जइ २.२, ४ जाणेवि ३.१९ जिणचरणदत्त ५.१९ जिणदेउ ९.१३ जिम्मु १.१४ जिणमंदिर ११.२ जिणिदधम्म ११.२३ जिणु १. १ जियारि २.५ जीवहरु ४.१२ हट्ठल ८.४ हिलिए५.१३ जेठाण ५.६ जे मज्जइ ३.१७ जो ४.६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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