Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 289
________________ १५५ (21) 5 जायदिणि हि सा हुय जोव्वणवइ गउ परतीरि वणि वि वाणिज्जए अरिहं अरिहं इय उच्चारिज तासु पहावें हउँ जायउ सुरु सुरतरु कुसुममाल कयसेहरु विलुलिय सिहिणोवरि हारमणिहिं किण्णरि गीयहि गाइज्जतउ अच्छमि कीलविलासहि तावहि इय विलास किर माणमि जावहि णाणि सोवमग्ग अइ जाणिउ दिगु हारु भूसणइ पसरथइ पुण्णहि एहु ताए लद्ध उ पइ । मज्झु मज्झु मरंतहो एयहो भज्जए । एक्कमणेण मए अवहारिउ । सहजाहरण विहूसिउ भासुरु । सवावयव सुसंधि मणोहरु । सेविज्जतउ सुरवरमणिहिं । णवर सुअच्छर णडु वि णियंतउ । आसणुई पुजाउ महु तावहि । णियभव सुमरणु एहु जे तामहि । उत्तारेवि जलहि सम्माणिउ। अवराइ मि देवंग इ वत्थइ। 10 । घत्ता- जा संवंधु पयासिउ ता पिउ भासिउ जे सुणहु वि सुरु जाउ तुहु । सो अक्खरु भवसिहिजलु धोइय कलिमलु भवि भवि सरणउ होउ महु ।।२१।। ___(22) पुण णिवेण कर यलम उलेविण भणिउ वणीसरु विणउ करेविणु। जं मइँ अण्णाणे संताविउ विणु कज्जेण महावय पाविउ । (20) 1.b वइयरु सीसई, 2.b तुव मंदिरि महं. b वाढियाहि, b रत्तिहि, 3.b तं वेलए, a संततहे, b संतत्तिहि, b मग्गिउं, b मंतिहि. b. omits पूत्तहि and ताव अहिसाइय etc... to जीवाइय वि तेहि, 6.b खज्जहिं, 7.b तहं, b भुंजतहं तहं णिसियर, a जेवंत जि ण, b जेमतहं लक्खियहिं ण भीयर, 8.b एवमाई, a दोसहि, b जे महुं, a ससिट्ठउ, 9.b विरत्तइं, 10.b पयत्तें for पत्त मइ, a मझें, ll.a तो for ता, b मइं छुरियई, 12.a हउ, a याएवि, b inter. हुउ and सुउ । (21) lb जानदिहि. b पुष्णहें, 2.b कहिं for वणि, 3.a मइ मि अव०, 4.a सु for तासु, a हउ, a सुरवरु, a विहसिय, 6.a हारमणिहि, a ० मणिहि, 7.a गोयहि, a. after गाइज्जतउ explains in margin. सा रि ग म प ध णी सरपत्तणं, b नटटु नियंतउ, 3.b. omits किण्णरि गीयहि etc. . . to ताहि, b तावइ. 9.a माणहि, b जावहि, b सुमरणे एहु वि तामहि, 10.b मइं जाणिउं, b सम्माणिउं, ]l.b भूसणई पसत्थई अवराई मि देवंगई बत्थ इं, 12.a वित्थ उ for ता णिउ, b सुणहुँ, b तुहु, 13.b सरणउं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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