Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 293
________________ सयलपाणिग्गाहो दुहुं हिज्जइ परहियवरणिविहंडिय अहहो पयडिय बहु पयाव अरिवारें धम्मपवत्तणेण दुहारें १५९ सोमसमिद्धिए महि सोहिज्जइ । होउ जित्त चउहि संघ हो । दर भूवइ सहो परिवारें । वह अवहारें । द घत्ता - संखए दुमह सुसाहिब सदरसु साहिउ इउ कहरयणु अगव्वाह | 10 जो हरिसेण धराधरउ बहि गयगिधर ताम जणउ सुहसव्व ॥ २७॥ इ धम्मपरिवखाए चउरवग्गाहिट्टियाए (चित्ताए ) । बुहहरिसेण ( कव्व) कथाए एयारसमो संधी समत्तो ॥ संधी ॥छ । १३ ग्रंथसंख्या २०१० ॥ छ ॥ छ ॥ मंगलं ददात ॥ छ ॥ Jain Education International *** ( 27 ) 1.b परियत्तियo, b वरगाए for गयए ( a सहमचउ ता ) not found, 2.b उगु for उपग्णु, b रुंड for डंभ ( a सय सायरु ते) not found, 3. b ते दहुंजे, b लिहावहि ते णंदहु, 4.4 ते जिंदहि जे भत्तिए जे पुणु वि, b पढावहि, b. omits ते पियपरदुह दूरे लुटावहि ( a not found स्थू विजेप), b सुक्खइ, b (a not found क्खएभत्तिएँ), b जे जुजहि निम्मलमई, 7.b हिज्जइं (a not found ज्जइ ) (a not found ज्जइ सोमसमि) ट्ठि for द्धि, b सोहिजई, 8. a परहियकर०, a अहहो, b होउं जिणत्तेषु चविह, 9 b पर्यालय, b भूवई, 10 b धम्मपरत्तोण, b वहुवि ववहारे, 11.b संखदुसहस्य समाहिउसदरसया हिउं b अगव्वहं, 12. b जा, b धयधरा, b गयगुधर, b सुट्ठे भव्वहं, 13.a च उग्गाहिट्ठियाए, b चउवग्गाहिट्टियाए 14. b. adds चित्ताए before बुहहरिसेण, b एयारहमो परिच्छेओ सम्मत्तो || संधि ||११|| इति धर्म्मपरिक्षा नाम शास्त्रं समाप्तं ॥ छ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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