Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 286
________________ १५२ घत्ता- भणिउ विमलमुत्ताहल णं सिरि लयहल रूइय रइय जाणेज्जसु । गुणवंतउ गुणवंतहे सामिसकंतहे एहु हारु अप्पेज्जसु ॥१५॥ (16) अवरइ सुवण्णमणिभूसणाइ सुमरिज्जसु मइ जइ होइ विहुरु वणिवरु वि ताम संतुट्ठचित्तु तहो संगमि परिओसियमणेण भूसणवत्थइ रयणपियाइ पंचपयपहावें सुणहु जेम अच्चंत चोज्ज विभिय मणासु वहु मणिरयणइ संजोइऊण अभय वयण उप्पाइय सिवेण वणिणा तहिं दिट्ठइ जाइ जाइ देविणु देवं गइ णिवसणा। गउ एम कहेविणु वणिहे अमरु । संपुण्ण लहु णियणयरु पत्तु । विरइयउ महोच्छउ परियणेण। वणिणा पियसमहे समाणियाइ। सुरु जीउ दिठ्ठ सइ कहिउ तेम । वित्तंतु पयासिउ परियणासु । तें दिठ्ठ णराहिउ पणविऊण । परतरि चोज्जु पुच्छिउ णिवेण । णरणाहहो सिट्ठइ ताइ ताइ। 10 घरता- ताराएँ वह खुम्माणे कय सम्माणे वच्छाहरण विहसियउ । वणे वणिणा हु क रेविण बंधु भणेविणु णिय मंदिरि संपेसियउ ॥१६।। (17) णवर एक्कु छणे वणिवर महिलए घल्लिउ थणहरे हारु सलीलए। काएवि दुद्रुवयंसिए दिउ गंपिणु रायमहीसिहि सिट्ठउ । लोहें ताए भणाविउ वणिवइ उत्तम रयणहँ भायण णरवइ । एरिसु मूढ काइँ ण वियप्पिउ कि वरहार सपियहे समप्पिउ । (15) 1.b सुह जायउं, a वहु for वउ, 2.5 हउ, 2.a पसाए, b महु for मउड, 3.b आवई वट्टइं उतम कउ, b लुट्टई, 4.b वरि, 5.b अमरवर, a जाणि, bपासु, 6.a णयविण for विणएण, b तुम्हह, 7.b किण्ह सुणहुं जो णियघरे जाहिं, b एवहि मइ, b परियाणहिं 8 णमोक्कारइं, b दिण्णइं, 9.a फल, a मइ, 10.a संवधु, a व for वि, il.b भणिउं, a रुयहर इह जाणिज्जइ, 12.b गुणवंतहो सामिय कंतहे, a अप्पिज्जहु । (16) 1.b अवरई, b भूसणाई, b देवंगई णिवसणाई, 2.b. inter. मइ and जइ, 3.b संपण्ण, 4.a मेणेण, 5.b ०वत्थई, boपियाई, b समापिप्याई, 6.b सुणह, b सुरु दिठ्ठ जाउ सइं, 8.b रयणई, 9.a चोज्ज, 10.a तहि, b दिट्ठई जाइं; b सिट्ठई ताई, la वहुम्माणे, b विहूसिउ, 12.b वंध, bसंफेसिउ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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