Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 284
________________ १५० अज्ज वि सयलजणेण मुणिज्जइ एत्तहि सिरिए पियरु णिएविणु जंपइ कयउ तेण मणु भिण्णउ तें कज्जे पिएणा पत्तारिय जो घणमित्तणासु आहाणउ कित्ति अकित्ति वि किं छाइज्जइ । लेहअत्थु अलियउ भावेविण । णं मइ रिसिहि दाणु ण वि दिप्पउ । कोवें णियघराउ णीसारिय । सो महु दइवें कय उ कहाणउ। 10 घत्ता- अहवा कि वुणी अच्छमि तित्थु जि गच्छमि भविययहो सारिच्छमई। महु पिउ जइ वि ण वासउ देसइ आस उ कुलउत्तियहिण अण्णगई ॥१२॥ (13) इय चितिवि सइ जिवि छाइय वहु दियहहि पियपासि पराइय । जइ वि ण कुल उत्तियहि पयच्छिय तो पियसरणाइय संगच्छिय । मादरु एक्कु तेण तहि दिण्णउ सुपुरिसु करइ अवस पडिवण्णउ । कालि गलंति व णिज्जिणि हियमइ गउ सुवण्णदोवहो सो वणिवइ । एत्तहि णायसिरिए ति आसिउ देइ दाणु मुणिवरह विसेसिउ। 5 . तो एक्कहि दिणि सिरियए दीणए भणिय णायसिरि गग्गिरवयणए । जइ वि तुज्झ संपय आवग्गी जइ विण्णहउ मुगिदाणहो जोग्गी । तो वि विहिणि महु एत्तिउ किज्जउ विहि पहरहि हक्कारउ दिज्जउ । जे पट्ठाणियाइ मुणिणाहरु उच्चायमि तवलच्छि सणाहहं । तो णायसिरि भणइ फुडु भासमि को वि ण अत्थि कवणु संपेसमि। 10 (12) 1.b पहिय for पेसिय, a मइणा, 3.a मुणिहि, b आ आटविओ वणिदि, 4.b सुवणु, b संचिउं, b वेचिओ for संकिउ, 5.b मुणिवर कूरवएं जा सिद्धा, a सो for सा, b पसिद्धी, 6.b मुणिज्जइं कित्ति, b छाईज्जई, 7.5 सिरिय, b अलियउं, 8.b जसय for जंपइ, b जं मई, b दणु णउ and omits from दिण्णउ. . . to ०णासु आहाणउ, lla किं पुणि इह अच्छमे तत्थ, a सारिच्छमइ, 12.b महुँ णिओ जई वि ण वासउं देसइं, a अवरगई for अण्णगई। (13) 1.a ईय, b सई, b वहुं, 2.b जई विण कुलउत्ती हियई च्छिय, a तो वित्थिय सरणाणइ संगच्छिय, 3.b एकु, b करई, 4.a गलति, boहियमई, b सो णवइं, 5.b भाविउं देई, b मुणिवरहि, 6.b दिण्णि सिरियहि, a वयणइ, 7.b तुज्झु, b जइं विणुइओ मुणिदाणहो जोगी, 8.b वहिण, b किज्जई, b दिज्जई, 9.b पइंट्ठाणियाई, b उच्चायवि, a सणाहह, 10.b भणई, ll.b रूप्पण्णउ, b ०वण्णउ, b वीसणहुँ सण्णिउं, 12.b एसई, b हक्कार, a मणउ, b मणिउ for मण्णिउ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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