Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 258
________________ १२४ गोयमेग विज्जाव तवंति पुरिसु वि जोणिसहासे दूसिउ रवि जोइसिउ देउ जणु जाणइ जइ सा मुणिहि महासइ भासिय सिसुवत्थु व परसत्थ कहाणउ सहस जोणि किउ सा उ चति । कामें कहो चारित्तु ण मूसिउ । सो माणुसिय कुंति कह माणइ। तो कि तहि वहु मुणिहि पयासिय। तं पावरणु तं पि परिहाणउ । 10 पत्ता- वरतणु साहसपउ सो कुत्थियपउ जं दुजोहणु पयडिउ । हरि अद्धणिहीसरु पंडवपुरसरु ति अप्पाणउ विणाडिउ ॥१४॥ (15) इवखाइवंसि पडिवासुएउ जरसंधु रणंगणि अतुलतेउ । वासेण णारिसुता सुकहा विराविणु रंजिय मुद्धसहा । वालि वि खगवइसुउ चरमदेहु रावणु जिउ जि जयलच्छिगेहु । जुण्णयरतणु व मिल्लेवि रज्जु कइलसि अणुट्ठिउ अप्पकज्जु । पावणसिलसंठिउ चरणजुयलु सायरगहीरु मेरु व्व अचलु । 5 अहरोत्तरोट्ठसंपुडियवत्तु णासग्गणिहियणिप्फंदणिस्तु । . णिग्गमणपवेस णिरुद्वसासु णिमुक्कडंभतिहुयणपयासु। आजाणुपलं विय दीहवाहु तणु जोइ परिट्ठि उ वालिसाहु । एत्तहि पुरवरु णिच्चावलोह। धवलहरइय णाणावलोह। रावणु रयणावलि खगकुमारि परिणेवि विहंडिय विरहमारि। 10 (14) 1.b अइं, b मई, 2.b खेयरा, 3.b कोडिहिं सेविज्जइ, 4.b खयरसुरा सुरणरणुउ सुरवई, b सेवइं, 5.a इंतु गाउ, b सुद्धउ for मुद्धउ, a तवसिय पिय, 6.b आहल्ला णामाहि पसिद्धहिं, bणवलोयणरिद्धिहि, 9.b मूसिउं, 10.b देव, b जाणइं, b माणइं, 11.b जइ सा मुणिहि महासई भासिया, b तहो वहुं माणुस, 12.a पावरणु is explained in the margin as दुश्चारिणी स्त्री वालकवस्तुवत् = निर्मलवस्त्रं सो पि पगपूछणओढणउ,, 13.b जि for जं, b पयलिउ, 14.a तें गुप्पाणउ विणहिउ। (15) 1.a इक्खाइवंसु पडिवसुदेव, b इक्खाउहवंसि परिवासुएउ जरसिंधु, b अतुलतेउं, 2.a वासे ण ण्णारिसुता, b वासेणं गारिसुता, b मुद्धसदा, 3.b खहवइंसुउ चरमदेहं. b जिं जिउ जलछिगेहुं, a मिवि सरज्जु, b अणुट्ठिउं, 5.a संठिय, b अयल, 6.a अम्हरत्तरोट्ठ, 7.b पवेसारुद्ध, 8.b दीहवाहु तणुजोय, b वालिसाहुं, 9.a पुरवर णिच्चावलोए, b णिच्चवलोई, a णाणउलोइ, bणाणावलोलोइ, 10.b रतणावलि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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