Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

View full book text
Previous | Next

Page 272
________________ १३८ एक्के मुणिणा एरिसु सुणेवि सुद्धोयणुलेसमिइ य मुणेवि । चरियाए गंपि घयखंडरिद्ध ___ मच्छय-तणुतदुलखीरसुद्ध। 5 एविणु गणि पच्चक्खाणु जाम मग्गिउ मुणिणाहें भणिउ ताम । पइलयउ असुद्धाहारु अज्जु हा हा णासिउ णियधम्मकज्ज । उग्गिलिउ मुणिउ पुणु तेग मंसु पणिउ पत्तवडिए णत्थि दोसु । घत्ता- पुणु जिणसासणु छंडिउ मुणिवउ खंडिउ तेण सविज्जागावें । देउ वि वुध पयासिउ कहिउ पलासिउ मण्णिउ जणेण अभव् ।।१०।। 10 (1) समयाइ य जाय अहो समाया रिसहो पुणु णाहिसुओ रिसहो । अरिहो सणरामर पूरिहो विणिजो हविहंडणु सो वि जिणो। सविहि कयकम्मविणासलिही स हरी तहो देव णयास हरी। स हरो भवसंभवदोसहरो सुगओ वि य सो सुगई सुगओ। स रवी सयलत्थ पयासरवी अमरो ह पहू स सया अमरो। 5 दहणो कसायतरुरुद्दहणो सजमो मयमोह वि हंसजमो। णयरीउ स सच्चविलीणयरी वरुणो सणरायणहा वरुणो। पवणो स भवोयहि संपवणो धणओ सजणाण महाधणओ। सविसो भणिओ कयविस्ससिओ धरणो स य सेसखमाधरणो। स बिहूत महाभुवणे सविहू कहिओ इय तोडयलोकहिओ। 10 घत्ता- इय भासिउ णिसुणे विणु फुडु मण्णे विणु वोल्लिउ मारुयवेएँ । मित्तणरए णिवांतउ पलयहो जंतउ रक्खिउ पइ सुविवेएँ । (12) पवनवेग का हृदयपरिवर्तन तुहु परममित्तु अह परमसामि अह बंधु पियरु गुरु अग्गगामि । मिच्छन्तु णिविडु में हरिउ मज्झु को सरिसु भणमि भुवणयलि तुज्झु । (10) la पिहिमि, a पयत्थे, 2.b मंसासि, 5.b सिद्ध, 7.b पई लेवि for पइलयउ, a हहा, b परलोय for णियधम्म, 8.b मुणिउं, b पणिउं, ___10.b मण्णिउं, a अभब्वे, Cf. दर्शनसार of देवसेन । (11) 1.b जायं, a समाय for समया, 6.a सकसायतरु दहणो b०विहंसजामो, 7.a विलीणसरी written and 2 on the head of य and ण respectively and it is explained in the margin as नरुत, 8.5 भवोवहि, 9.b सिओ for सिवो, 1.a मण्णेविण्णु पुणु वोल्लिउ मरुवेएं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312