Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 278
________________ जिणवरणपडिमा मुद्दवियाइँ जहि गुमुगुमंत महयरकुलाइँ णिर्याडभरइयकीलाउलाई सज्जनचित्ताइ व णिम्मलाइँ हि इणिपत्तहि सोहियाइँ वरवावी कूवतलाययाइँ णिसुणिय वरहिणरव विरहिणीउ निशिभोजन कथा तर्हि पमाणु पर्यडु णरेसरु तहो गेहणि पियगोरि महासइ तहो सिरिपालु मंति वहु जाणउ तहो सिरिपालहो धणवइ रोहिणि विहिति ताहँ जिणमुणिपयभत्तहँ एकहि दिणि जागरियहो महिलए १४४ भवियहि जणहर वसंक्रियाई । वरतरुवराइ सुमहरफलाई । जहिं दीसह वहुवाणरउलाई । जहि झरझरांति णिज्झरजलाई । कीलारयकामिणि डोहियाएँ । बत्तीस अत्थि समपयाइँ । सइपियसाउ जहि माणिणीउ । 10 घत्ता - जंति को दोहतें कोसु पिहुतें अद्भुको जसु उई । जासु उवरि आस्तु वि नरु अइमूढ वि अप्पर तरुणउँ मण्ण ॥२॥ (3) Jain Education International आसि णाइँ सग्गमि सुरेसरु । णं रामहो घर सीयमहासङ | जसु सुरगुरुविण मइए समाउ ! णं इंदहो सइ ण चंदहो रोहिणि । विres कालु धम्मि सत्तहुँ । मग्गिय वाढी संझावेलए । 5 ( 2 ) 1.b तहि, 2. ०णंदिरेहि, a मंदिरेहि, 3.b ० सुरहरई वि, 4. मुकियाइ, a जिणहरइ मिसंकियाइ, 5a जहि, b गुमगुमंतमहुयर, कुलाइ, a वरतरुवणाइ, a फलाइ, 6.a णियडिय भररइयकीलाउलाइ जहि दीसहि, उलाइ 7.a जिम्मलाइ जहि ०जलाइ, 8. a जहि a सोहियई, 9.a oतलायाs, a अत्थी, b. adds पय before समपयाइँ, a समपयाइ, 10. a सहि for सइ, a अद्धकोसु जसु ऊण्णउ 12.2 अइबूदुवि, a मणउइ for मण्णई | 5 ( 3 ) 1.2 तहि, 2 b गेणि for गेहणि, 2.3 पियगौरि, महासइ, 3 b जाणउं, 4.a. omits णं before इंदहो, b सई, 5.a विहिं वि ताह, a ०भत्तहो, b वियलई, a आसतहो, 6.8 सज्झावेलए, b संज्झावेलई (ला). 7. b तर्षाणि मंदिरु, b धणवई पुत्तिहिं ( Then four lines were deteted in a) . 8.a तेण वि सुणिउ for ताए भणिउ, b भणिउं ण सिहि भुंजिज्ज b सुणिज्जई, 9 a जें for जं, b दिट्ठ मई णिसुणहि, b सुय for पुत्त, a तेण वि for तं, b तुज्झ समक्खमि । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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