Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 276
________________ १४२ परदव्वहरणे मरणउ लहेइ पररमणिरमणे तं चिय दुहु सहेइ। 5 वहु परिगह कंखए कलमलंतु रयणिहिं.वि णि ण लहइ सुयंतु । इय एवमा वहु दोस भणिय परलोयदुक्खु पुणु केण मुणिय । तें कज्जे एयह भणिउ वाउ एरिसु वयकारणु पुण्णहेउ । इय एरिसे ण पालिय वएण सुहु लब्भइ मणुएँ भव्वएण। जे खगमोक्खसुहयरतरूहुँ मूलगुणाइ य अंकुरु गुरुहुँ । 10 धत्ता- ते विसयाणलचुक्का होहि गुसक्का हरिसेणहो जं इट्ठ । दिहि भविय सुउणि गणहँ परितुट्ठ मणहं सासयफलु सुहमिट्ठउ ॥१७॥ इय धम्मपरिक्खाए चउवग्गहिट्ठियाए चित्ताए। वुहहरिसेणकयाए वहमो संधी परिसमत्तो ॥ छ । श्लोक ॥१६२॥ छ ।। * * * (16) 1.b परिहरणउं, a. writes in margin तह मियकरणउ and writes संकोइयकरणउ after हरणउ, a वत्थु for इत्थ, b जाणहि करणउं, 2.a सुपहावें, b जिणमंदिर गच्छवि, b सइंच्छावे, b सवलहण, 3.a पणवेपिणु, b पणवेप्पिणु, 4.5 घरेसहि, b मग्गहि, a पत्थि, b यवेसहि, 5.b मंदिर, 6.a तत्थ हु, a वइसारवि, 8.a जे वेहि विहि भवियउ दिज्जइ, 9.a जहि, 10 & ll.a two lines मरणया ले. . . to वच्चाइ, 12.a भवियह एउ करेयउ, a भुजेव्वउ, 13.a उंवराइ, a दोसें, b णिसुणहि, 14.b मुणई, a मंसु भक्खि, b गणई, 15.a फासहि, 16.a भिण्ण न अवर जोण जि, a. adds वे after तेण, a मंसहि । (17) 2.b वणि, 3.b मेल्लाहिं मूढ, 4.b सव्वहं, b. inter. लोए and होइ... अलियरसि, 5 परदव्वे हरण, b मरणउं, a पररमणिहि तं चिय, b omits दुहु, 6.a रयणिहि ण णिह. a अतित्तु for सुयंतु, 7.a इह एवमाए इह दोस, गणिय for मुणिय, 8.b एत्थहं भणिउ, a एरिस वयकरण सुपुण्णहेउ, 10.bi, a तरुहु, a गुरुहु, 11.b होहिं, b हरिसेणहें, 12.b देहि, 8 मणहं for गणई, a सासयसुहुफलु मिट्ठ, 14. परिसंमत्तो, b ॥१७॥ for,॥ श्लोकः ।। १६२॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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