Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur
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१२७
धर्म-महत्व
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अह हवइ पढमु तो खत्तियाण जइ हिंसए लब्भइ सग्गु मोक्खु जइ लब्भइ तरुतलि फलसमग जइ देव सपहरण कामकोव वाणारसिपुरवरणरवईहे तह वासुएउ वसुदेवपुत्तु इहु माणविगब्भ समुभवाहु जय करण धरण संहरण कम्म जे परमप्पय ते अतणु होति इय परमपाण सवयण विरोह
सण्यपारद्धियधीवराण । ता को वि सहइ तव ता व दुक्खु । को चडइ पई हरु तरुवरग्ग । ता किण्ण चोरजारह सुदेव । हुउ णंदणु वंभु पयावईहे । सच्चइ मुणितणुरुहु संभु वुत्तु । तह वंभरज्ज दूसिय भवाहु । तहिं कह परमप्पयरूवसम्म । विणु देहि णिक्किय किं करंति । जहि पत्थि वीउ तहिं कहिं परोहु । 10
घत्ता- मा दियहो चिरावहो मइगुणे दावहो दहविहु धम्मु चिति ठवहु ।
रयणत्तउ भावहु तहु कलु पावहु भवभयकम्ममलु णिवहु ।।१९।।
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(20) णिच्चलगुरुत्तणिज्जियपमाए संभवइ धम्मु उत्तमखमाए । अहिमाणदुक्ख दुद्दमदमेण
संभवइ धम्म तह मद्दवेण। . अवहत्थिय कुडिलत्तण जवेण संभवइ धाम पुणु अज्जवेण । हियमियपियभासणसंचएण
संभवइ धम्म फुडु सच्चएण । हयलोहकसायसमुच्चएण
संभवइ धम्म सुसउच्चएण । पागिदय अक्खजय उज्जमेण संभवइ धम्मु वरसंजमेण । कयणियमें कलि तम आतवेण
संभवइ धम्मु णाणातवेण । आरंभडंभअहिघासएण
संभवइ धम्मु कयचायएण । मण्णिय समाण तणकंचणेण संभवइ धम्म आकिंचणेण । णवभेए हयमयणुब्भवेण
संभवइ धम्मु दिढवंभएण । 10 (19) l.a. in margin explains सण्य as कलाल, b सुंडिय for सण्हय,
3.b फलु समग्ग, b तेरवरग्ग, 4.a तो, boजाराई, 5.b वाण for वाणारसि, a वाराणसि०, 7.b समुन्भवाह, a तवभसरज्ज for तह वंभरज्ज, b भवाहं, 8.4 कम्म, b तह कहिं, 9.a जह for जे, a ते णुण for ते असणु, a णिक्किव, 10.a repeats सवयण, a जहि, a तहि कहि, ll.a गुणु, a विचितवहु for चित्ति ठवहु, 12.b कयमलु ।
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