Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 267
________________ अमरकुमारहि सहु कोलंतें कच्छमहाकच्छाहिव धीयउ परिणियाउ तें पिउ उवरोहें असिमसिआइ कहिय भयवंतें । जंदसुणंदउ वेवि विणीयउ । रज्जे परिट्ठिउ ताम सुणेहें। 10 घत्ता- लीलए रज्ज करंतहो सउ पुत्तह तहो धीयजुयलु उप्पण्णउ । जिगु भोयरउ णियच्छिवि सुइ संगच्छिवि इंदें कज्ज पवगउ ॥२॥ पुवह तिह अहिय असीइलक्ख अट्ठारह कोडाकोडि कालु जिणु तो वि ण भावइ सुद्धभाउ इउ चितिवि पुण्णाउस णिउत्त । णज्चंति भावणवरस पसत्त तं णिएवि झस्ति जिणवरु विरत्तु सुरसिविया जाणे गुण महंतु परमेट्ठि सिद्ध हियवइ धरेवि तहोणेहवसेग गुणगणणिवास परिचत्तु देहु छम्मास जाम (3) परिगलिय गलिय णउ भोयकंख । सायरह जाउ धम्मतराल । उप्पायमि एयहोवरि विराउ । जोलंजस जिण अत्थागु पत्त । महि पडिय परव्वस पाणचत्त। णियरज्जे थवेविगु भरड पुत्तु । जयसद्दे सिद्धत्थवणु पत्तु। णिग्गंथु जाउ सिरि लोउ देवि । पव्वइय णरेंदह चउसहास । अच्छइ जिणिदु अवरमुणि ताम। 10 (1) 1.b जाणेविणु, a गण मणेविण b भणिउं for मित्तं, 2.b भासिउं, b तउं, a धम्म, 3.2 केव, a मणवेए सहि, b भणिउं, a एव, 4.b जाय for आसि, b बिधित्ता for विचित्त, 5.bजोयस०.bजोइंस,6.b दीवंग, b सिट्ठ, b कामुयजुयल दिट्ठ, 7.b वाहादिय, 8.b सुसमिहुं णइं, 9.a सुसमु दुसम, b सततय for सत्तभाय, 10.b अट्ठमउं, II.b पडिसुई तह सम्मइं, a खमंकर, b खेमकरु, 12.a चक्कुब्भ, 13.a repeats the line पुण जसस्सि अहिचंदु वि, 14.a omits वि । (2) 1.b जयलुप्पज्जइ, b उछज्जइ, 2.b दिण कइ वि मास, b वरिसई, b जुवलइं, b सरिसइं, 4.a लखिय, 6.b उप्पण्णउं, 7.a सुर for सिरि, a मरुदेविहि, 8.a अमरकुमारें, a आइय, 10.a उवरोहिं, b तासु जे जेहें, ll.b पुत्तइं, a उप्पणउ, b उप्पजाउं, 12.b पवण्णउं । (3) l.b पुवहिं तिहिं, a असीय, b कंक्ख, 2.b सायरहं, 3.b एयहोवर, 4.b इय, a पुणाउस, b णिरुत्त, 5.a पाणचत्तु, 6.b णवर for झत्ति, a पत्तु for पुत्तु, 7.a सिद्धत्थु पत्तु, 9.a णेहवसि, 10.b इयर for अवर, ll.a छंडिय, b गेहहिं, 12.a ता उलिंगिय, b गयणवाणि आयण्णहिं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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