Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur
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१३५
गुरुभार खिय परिखीण गत्तु पिक्खे वि पुसु पहि पंकि खुत्तु । 10 घत्ता- तं संडेउ वि अप्पिवि पायहि चप्पिवि जाहि जाम परिवाडिए । मुहपएसु ता खत्तउ सासुपगुत्त उ पयभरे तहो सिरि पाडिए ॥५॥
(6)
छुड पवणि पूरिउ तासु काउ ता दूसहु दुक्खु महंतु जाउ । पाणाउरु पंकए सुत्तगत्तु
णिप्फंदवित्ति णियसत्ति चत्तु । चितइ एए अइसुदृभाव
महु जीविउ तिणु व गणंति पाव । गय दुट्ठ केम सिरि पाउ देवि विणु कारणेण जीविउ हरेवि । चितंतु एम कोवग्गिदित्तु
दुक्खें मरेवि असुरत्तु पत्तु। 5 तहि अवहि पउंजिवि णियइ जाम गयभवदुहु झुमरिवि कुइउ ताम । चितइ किं महु देवत्तणेण णिय सत्तु ण फलयहो णेमि जिण । अह एक्कवार जइ हणमि पाव सहु लइवि भवंतरि दुट्ठभाव । तो वरि अवयारु करेवि तेम सहु संतइए दुहु वि लहहि जेम । इय मणि धरेदि धयधूयमाणु घंटालि मुहलु सज्जिउ विमाणु । 10 पत्ता- जहिं ते महिस णिसुंभण अच्छहि वंभण तहिलीलए थि उ एविणु ।
मायाविउ पह भासुरु सो कालासुरु णहि चउवयणु हवेविण ॥६॥
(7)
पेच्छेवि तेहिं सुहसंतभाउ के तुम्हई कज्जे केण आय सग्गहो अवइण्णउ मुणहु वंभु अवरावर वंभ मुहाउ पत्तु । णियवरिससएण गएण एमि
पणवेविण पुच्छिउ भद्दकाउ । तें भणिय ताम पिय महुर वाय । हउ वंभणकुल कलिमल णिसुंभु । अच्छिउ तहि वेउ पढंतु संतु। चउवेयलोए पायडु करेमि ।
(5) la तें, a भरहेहि, adds रय in margin after सयल, 2.a भर हिं,
bभरहहि, a गरवरेहि, 3.b अहुं वहु कालें तसंस, 4.b चितंत, b अम्हइं, 5.a णाणाविह पसत्थ, a पसत्थ for समत्थ, 6.b इ for इय, b मदभग्ग, 7.a कुलगंव्वें b कुलमेंव, 8.b दाणं 9.b सयल for इय,
b कहिमि वण, 10.a परिरवेय, Il.b त संडेउं यप्पिवि, 12.b पयभरु तसु । (6) 3.a तण, b. adds ण before गणंति, 5.b एव, 6.bणियइं, b कुइउं
ताम, 7.b चितइं, 8.b सुहु लहहि, 9.a तो वरं अवयरु, b करेमि, a ताम, b सहुं सं तईहे दुहु लहहिं, ll.a जहि, 12.b कलासुरु, a हवेप्पिणु ।
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