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दस प्रकार के मूर्ख हैं जो पूर्वापर विचार रहित पशुओं के तुल्य हैं। इनका वर्णन इस प्रकार है१. रक्त मूढ कथा
रेवा नदी के दक्षिणी किनारे पर सामन्त नगर में एक बहुधान्यक नाम का ग्रामकट (प्रमुख) रहता था। उसकी दो सुन्दर स्त्रियां थींसुन्दरी और कुरंगी । सुन्दरी वृद्धा थी। उसे छोडकर उसने तरुणी कुरंगी से विवाह किया। कुछ समय बाद बहुधान्यक ने उस साध्वी पत्नी सुन्दरी को अलग कर दिया और कुरंगी के साथ भोगपूर्वक समय बिताने लगा। सुन्दरी ने इसे अपना पापकर्म का फल मानकर शान्ति पूर्वक रहने लगो (9)। इस बीच बहुधान्यक को राजा की सेना का प्रबंधक होकर बाहर जाना पड़ा। कूरंगो इस विरह को नहीं सह पाती और साथ जाने का आग्रह करती है पर बहुधान्यक उसके हरे जाने के भय से साथ नहीं ले जाना चाहता। अतः वह उसे समझाकर सेना के साथ चला गया और कुरंगी को सारी धन संपत्ति के साथ घर छोड गया । बहुधान्यक के जाते ही कुरंगी स्वच्छन्द हो गई । और अपने जारों के साथ काल' यापन करने लगी। उनके साथ रमण करते हुए उसने अपनी सारी संपत्ति भी नष्ट कर डाली नौ-दस दिनों में ही। जब उसने पति के आगमन का समाचार सुना तो वह पतिभक्ता और धर्मनिष्ठा बनकर घर में रहने लगी। बहुधान्यक ने गांव में प्रवेश करने के पूर्व ही एक व्यक्ति के साथ कुरंगी के पास अपने आने का समाचार भेज दिया । उसने कहा उस संदेशवाहक से कि प्रथम दिन का भोजन तो ज्येष्ठा के साथ होना चाहिए । यह सोचकर वे दोनों सुन्दरी के पास गये । और कहा कि तुम्हारा पति विदेश से वापिस आ गया है और आज वह तुम्हारा ही स्वादिष्ट भोजन करेगा (11)। सुन्दरी ने कहा- मैं भोजन (रसोई) बनाऊंगी परन्तु तुम्हारा पति भोजन यहां नहीं करेगा, तुम्हारे घर ही करेगा। फिर भी सरलस्वभावा सुन्दरी ने षटस भोजन तैयार किया। वह रक्त पुरुष भोजन करने के लिए सीधे कुरंगी के घर गया । निर्धना कुरंगी ने अपनी स्थिति को छिपाने के लिए कर्कश और अपमानात्मक शब्दों में उसे सुन्दरी के पास जाने के लिए कहा। उसी बीच सुन्दरी ने अपना पुत्र भेजकर बहुधान्यक को निमन्त्रित किया ।। 12 ।।।
___ कुरंगी की भयानक भ्रकुटि को देखकर बहुधान्यक आश्चर्य में पड़ गया। सुन्दरी ने उसे बड़े स्नेह और सन्मान से षट्रसमयी भोजन कराया। फिर भी उसका मन कुरंगी की ओर लगा रहा (13)। प्रणय कुपित दृष्टि वाली कुरंगी मुझ से क्यों रुष्ट है ? शायद उसने मुझे गलत समझ लिया है। तब श्वासनिश्वास करते हुए उसने कहा- मुझे कुरंगी के घर से कुछ भी ला दो। तभी भोजन अच्छा लगेगा। सुंदरी कुरंगी के पास गई और कहा कि तुम्हारे भोजन
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