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धम्म वि
पुराण तहमा इय चत्तारि वि आणा सिद्धइँ
तद्यथा
तद्यथा
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पुराणं मानवो धर्मः साङ्गो वेदश्चिकित्सितम् । आज्ञासिद्धानि चत्वारि न हन्तव्यानि हेतुभिः || १ || तह मणुवासवसिद्ध हो वयणइँ जय भणंतु अपमाणइँ । भाइणरु होइ णिरुत रु इय एरिसुपसिद्धदिय वृत्तउ ।
याइयो दोसु उब्भावइ
जेण ते तहो दोसु ण वोल्लमि ता दियवर पभणहि मित्ते वि भिक्खु भfe असि जीह ण छिण्णइ
(8)
सांगोवे चिकिच्छिय कम्म वि ।
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उहि ण हणिज्जति पसिद्धइँ |
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मानव व्यासवासिष्ठं वचनं वेदसंयुतं ।
अप्रमाणं तु यो बूयात् स भवेद्ब्रह्मघातकः ॥ २॥
जो सो वम्हइ व्व फलु पावइ । दियपरदरसिउ मग्गु ण मेल्लमि । पाउ हवं तु दिट्टु कि केण वि । सिहिंतु डहर को मण्गइ |
धत्ता - इय एम मुणेवि भउ मिल्लेविणु थिरु भणहि । या हु दोसु वत्थु भूउ जइ फुडु मुणहि ॥ ८॥
(9)
भागीरथी और गांधारी कथा
मायाताय सेण एत्यंतरे
किर भाइरहि णामउ दोणारिउ
वोल्लिउ दियवरसह अब्भंतरे । एक्क सयणि सुत्तउ सुकुमारिउ ।
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( 8 )
2.a हेउहिं, a पसिद्धइ, b adds |छ || before तद्यथा, 3. a धर्म्म, 4.a चात्वरि both a & b used अनुस्वार like सांगो, वेदश्चिकित्सितं हंतव्यानि 5.a • सिद्धह वयणइ, b जयइ, a अपमाणइ, 6 a वम्घास, 7.a चैवसंयुतं, 8.a भवेब्रह्मघातका, 9a जो for यो, b वेयाइयहं, b वंभह, 10 b दरिसिउ मज्झग्गु 11.bता दिय भणहिं भणिय मित्तेण विं, 12 b भणिउं, b छिष्णइ, a उण्हुत्तु, b मण्णई, 13 a एव, b भर्णाहं, 14. b मुणहि. Note: Both Sanskrit verses occur in यशस्तिलक - चम्पू, भाग 2, p. 119. The first verse is identical with मनुस्मृति, 12.110-1.
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