Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

View full book text
Previous | Next

Page 245
________________ जं विज्जाहर विज्जावलेण तं हवइ कयाइ वि जइ हवेड परवालि सुग्गीवहो कलत्तु लहुभाइमहिल गुरुभाइयासु णिक्कट्ठे विण उसा अवहरेड सुणि गिरिवियाढि लच्छीसणाहु नहो तणिय तणय णामेण तार मग्गतेण वि ण वि लद्ध कण्ण जाजा सुविहिय सा तहो कुमारि अपणु पुण्णहीणउ गणेवि एक्aहिंदि किर सुग्गीउ जाम विज्जावलेण सुग्गीवरूउ सुग्गी व विणुखणे वाराविउथिउ भग्गाणुराउ सुग्गीव जुयले मोहियमणेण १११ (18) घत्ता - वहु कालें कंजियभोयणेण वहु विज्जउ साहेप्पिणु । सहसगइ नियइ सुग्गीवछल तारा खेरि वहेप्पि | ।। १८ ।। (19) उच्चाइय गिरिवल अरिछलेण । समुह संभवेइ । किर हरिउण एरिसु वयणु जुत्तु । णियधीस रिसएउ जणे पयासु । किं वालि महाणरु आयरेइ । उत्तरसेढि जलसिहुणाहु | रूहसगइ खगे से वार वार । पिउणा सुग्गीवहो णवर दिण्ण । अवरवरही पाविय विरहमारि । वणि थिउ विज्जासाह मुणेत्रि । Jain Education International वकीलए गउ सहसगइ ताम | करिऊण पुत्तु तारासमिउ । पइसइ ता विडेण वियक्खणेण । पेक्खहु जारु वि घरसामि जाउ । पर अप्पु ण जाणिउ परियणेण । 5 10 ( 17 ) 1.a संताणई, b णेरंदसुहाएई, a सुहथाणए, 2.b लकाहिउं जायउं दोहि मिलियइ णेहु समायउ, 3 b अमरपहृदि, b माई for मउ, b inter. विलियि and वाणर, 4.b णववहुं, a adds जा in margin before मुच्छ्यि, b कुयउ अमरपहु, 5.b ति जि for जं जें, 6. b जायंई कुलदेवइ. 7.a णा for ण उ, b दिज्जइं वाणरहु मि थामें 8 b पोमायउ, b चिधिधयछत्ति, 9 a घणावाहणु, b घणवाहण, a वाणररिद्धे, b वाणरचि 10. b हुउं पसिद्धु पयलउ कि सीसइ, b कि दप्पणु दीसई, lla वंसुब्भउ रावणु, 12.a ofवणमिहि, a वंस, b पहु for जे, 14.9 मिलई ण वाणरक्खसहो, b डु अंतरु ...1 For Private & Personal Use Only 5 ( 18 ) 1.b adds विहार after विज्जाहर, b उच्चायहि, 2.a बंधणहो समु व संभवेइ, 4. b जग for जणे, 5 a उवहरेरु, a महाणर, 8.a मग्गते तेंण लद्ध, 9 b सा पुणु for पाविय, 11a साहेविणु, 12.5 नियई । www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312