Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 247
________________ राम पिययमविरहाउरेण चितिउ कि जीवंते परेण तं जीविउ जहि सुहि जणिराउ भयभारुय जीवहँ करुणभाउ जोव्वणु वियलउ तव चरण एण अह पिययण सुरया चरणएण अह सरणागय भय नासणेण परधणअहिलसुण होइ तेण ता करमि सहलु पत्थिउ अगेण farnagरहो उ रामु जाम सुग्गीवो भिडियउ रणे पडु सज्जिउ ता हुय टंकारएण तारा दाणें णं जीविउ दिण्णउँ जीवउ णरु जो परउवयारउ उत्तम परक्वें पीडिज्जइ तार जाय पुणरवि सुग्गीवहो जो ण कजजपरिणइ परिभावइ जो हरिसे ण कज्जु विणासइ परयारहो णामें लज्जिज्जइ जं परयार सुक्खु अहिणं दिउ एरिसु ताराहरणु पसिद्धउ ११३ (21) घस्ता- ता रामें रूठें सिरकमले तोडिवि विडसुग्गीवहो । तारापिययम रज्जेण सहु करे लाइय सुग्गीवहो । । २१ ॥ ॥ (22) समदुहुँ गणेवि करुणाधरेण । जो अवत्थइ पच्छिउ परेण । मुणिवरु अह दाणणिहाणु राउ । गब्भे विहरउ अहवा आभाउ । अह खिज्जउ परउ च पारएण । मरणविहि विहिय सण्णासणेण । सयलु वि परदारपरम्मुहेण । जहि परउवाउ ण उ बोल्लिएण । इयमंतिऊण सह पियमगेण । जग्गेवि विडसुग्गीउ ताम । वामेण ताम कोवंडदंडु | गविज्ज कामरूविणिभएन । Jain Education International एम कवणु पालइ पडिवण्णउँ । रामचंदु जिह लोय पियारउ । अहम अण्णकज्जिजीविज्जइ । मरण जि केवलु विडसुग्गीवहो । सो अइरेण मइवय पावइ । ता सुवरिणि घरसंपय दीसइ । असु मरण वहु दुहु पाविज्जइ । सो भवे भवे हउ जणणिदिउ । जं परत्तु तं अप्पविद्धउ | 5 For Private & Personal Use Only 10 ( 21 ) 1a समु दुहु, 2. जीवेंते, b अवहत्थई a पराउ for परेण, 3 b जगियराउ, a दाणणिहाण, 4. a खयभीरुहजीवह, a विहवउ, 5.b जोवणु, a. omits अह खिज्जउ परउ च पारएण before अहं पिययम etc. 7.a omits सयलु वि etc. to line 8th ण उ वोल्लिएण, 8. b होई, b परवाउ, 9. b तो for ता, b सहुं, 10.a जाव for जाम, a ताव, lla omits सुग्गीवहो etc. to line 12th कामरूविणिभएण, 13.a विडसुग्गी हो, bfवडसुवहो, 14 b सहुं । 5 www.jainelibrary.org

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