Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 252
________________ ११८ सरवरकुरंग पंचाणणहो साहसु सुपसिद्ध दसाणणहो। सव्वत्थ जणेण विज्जाणियइ अम्हहिं कि किर वक्खाणियइ । उद्धरिउ जेण कइलासगिरि विद्धंसिय घल्लिय अमरपुरि। 5 ण व सीसहिं पुज्जिउ देउ हरो गेएँ तोसिउ हरु लद्धवरो। एत्यंतरे पडिवयणेहि पडु पडिजंपइ विहसेवि सेयवडु । णवसीसइ छिपणइ रावणहो जइ लग्गइ पुणरवि वंभणहो । तो मइँ वोल्लिउ किं ण उ घडइ सिरु एक्कु किं ण महु संघंडइ। अह भणहु एम रुद्दे सिरई गलि मेलवियइ लुयगलसिरई। 10 घत्ता- एरिसु वि ण जुज्जइ जं णिसुणिज्जइ लिंगु पडतु तवसि सविउ । कय दाणवदप्पें हयकंदप्पे हरेण सदेहि ण संथविउ ।।५।। (6) दधिमुख और जरासन्ध कथा अवरु वि परपुराणु एउ सुम्मइ दहिमहु देइरहिओ सिरमित्तओ हुउ जा ता जणणयणागंदिरि अहिवायण पुव्वं पणवेप्पिणु दहिमुहेण पणिउ मुणिसारा भणइ अयस्थि णत्थि तुह मंदिर कुमरयाले णियरहरि वसंतहँ गउ मुणि एम भणेविगु जावहिं भणियई काइँ ण मइँ परिणावह इय भणियइँ दहिमुहि ण उ भुंजइ काइँ वि वंभणिए सुओ जम्मइ । सुहसत्थत्थ धम्मसंजुत्तओ । आइउ तहो अयत्थि णिउमंदिरे । अभागयपडिवत्ति करेप्पिणु। महु घरि भोयणु करहि भडारा। 5 जि कुमारु तुहु महिलय णंदिरु । णत्थि धम्मि अहियारु करतहँ । दहिमुहेण णियपियरइँ तावहिं । तेहि भणिओ को देइ तुहु । तेहि रोडु ता को वि भणज्जइ। 10 (5) 1.b. inter. अत्थि and णत्थि, 2.a तेहि, a दिस for जस, b दिसाणणहो, a inter the line धवलिय etc. and सुरवइकुरंग etc. 3.b सुरवइकुंरग, 4.b वियाणियइं, a अम्हइ गिर कि वक्खा०, b वक्खाणियइं, 5.a कइलासु गिरि, b कइलासगिरि, b अमरपुरी, 6.a सीसिहि, b लद्ध वरू, 7.a पडि वयणेहि पहु, b विससेवि, a सेयपहू, 8.b नवसीसइं छिण्णइं, b लग्गहि, 9.a मइ, a कि for किं, b एकु किण्ण, 10.b भणहुँ, b सिरइं, b • मेलवियई लुयगलसिरइं, ll.a एरिस वि ण्ण, a जे for जं. Cf. महाभारत (वनपर्व), वाल्मीकि रामायण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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