Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 251
________________ रावण दसशिर कथा तमायण्णिऊण वहाणं वरेणं तिलायाहिवो होमि एवं मणेणं वरं देइ णो तो वि जा ताव तेगं कया तस्स पुज्जा तहच्चेव ईसो मएँ एक्कसीसावसेसे वि देवो इमं चितिऊण सुज्झाणेण रक्खो समुच्छासमुल्लाविए जाइ भेए तओ रावणेणावि भित्तूण वाहू समागं कहत्यं समुप्पाइऊगं विसेसेणगीस्स आइड्ढकण्णो कय सोमपाण पावणमुहहो तो तेहि वृत्तु सिरिमाणणहो ११७ (4) पुणो भासिय तेण सेयंवरेण । चिरं रुद्दु आराहिओ रावणेणं । ससीसाणि छित्तूण छित्तूण णूणं । ण तूसेइ ता चितए रक्ख सेसो । वरं देइ णो कि महं दीह तेवो । लोह तो दिट्ठ तेणं तियक्खो । पसण्णो किओ किण्ण रेणं समेए । घत्ता- तो आवइ हरेगं तुछें हरेगं रावणासु वरु दिज्जइ । सीसइ लुणियाइ पुणु मिलियाइ एउ पुराणि भणिज्जइ ॥ ४ ॥ (5) Jain Education International हारं समायड्ढयंगीय साहू | अरं दिव्वणादं तहिं गाइऊणं । किओ रावणेण हरो सुप्पसण्णो । एउ अस्थि त्थि पयडहो वुहहो । धवलय जसपर दसाणणहो । S ( 3 ) 1.b उघवेवि, b मई, b मिठियाउ, a. repeats कहि, b तुहु, 2.a पंच for पंथ, a भुक्खा०, 3.bo सुहुं, b तामई, 4. b णिसुणिवि मई, boगिरु, 6. तो वर, b जाएप्पिणु, b होएप्पिणु, 7.a omits तो, b अम्हई, b दोहिमि कंवलिओ करिदंडा, 8.b आवेष्पिणु, b संघंट, 9 b अच्छई; b तुम्हहं, b सच्चउं, b होहं ण वाइंय, 10.b भासिउ, for पर्याडिउ, b तुम्हहं, b जु for जि, b अम्हहं, 11.b तो दियवरहि भणिज्जई, a माए पर वं चंतह, 12.b णसु णिवार, b तारई a वोलंतह | ( 4 ) 1. b तिलोयाहिओ, a एवं 3b देई, b ताम, 3.a संसीसाणिछित्तूण छित्तण, b ससीणाणि लिल्लूण भित्तूण णूणं, 4.b पूया तहं चेव, b तूसेइं ता चिता चितपटक्खसेसो, 5.b मए एक्के सासावसेसम्म देवो, b देई, 6. b सज्झाणेण, a पलोड़, 7a ०समल्लापवगा पभेए, a सगेए, 8. a तवो, b वाहुं, a समायडिदुउ गीय, b साहुं, 9. b सणामं for समागं, b दिव्वनाहं, 10.a विसेस्सेण, b आयड्ढकण्णे, 11. b आइ for आवइ, b तुट्ठि 12.b सीस लुनियाइं पुणु मिलियाई । For Private & Personal Use Only 10 www.jainelibrary.org

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