Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur

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Page 255
________________ १२१ घत्ता- जरसिंधु पहाणउ साहइ राणउ होतउ भुवणपसिद्धउ । इय वासें भासिउ लोए पयासिउं काइ भणह ण वि रुद्धउ ॥९॥ (101 अवरु गउरि णवजोबणमत्तहो सुरयसोक्खु माणंतहो रुद्दहो । वरिससहासु दिब्बु जा वड्ढइ ता सुरसवहो चित पवड्डइ । जइ कह वि हु इय सुरए गंदणु उप्पज्जइ सुरससुर वि मद्दणु । जगु जगडंतु केण वारिज्जइ तो वर विग्घु कि पि विरज्जइ।. इय मंतेविणु गउरिसहोयरु पिसिउ पत्तु तित्थ वइसाणरु। 5 णियडु संवंधु णियच्छिउ जावहि लज्जइ गउरि समुट्ठिय तावहि । एत्तहो सुक्कखलणु अलहंतें रुद्दे कोवाणल पजलेतें। भणिउ दुठ्ठ अइ धिट्ठ किमायउ । किं सहु सुरयविग्ध उप्पाइउ । जइ वि ण सालयासु रूसेज्जइ । तह वि हु तुच्छ दंडु तुह किज्जइ दुद्धरसुक्क महिहि कि हरिल्लमि उड्डुहि मुहु तुरंतु जे घल्लमि। 10 महि खेत्तम्मि तम्मि पुणु संकर भणइ ण वि हलु जाइ जिह तिह कुरु । णवर तेउ सुक्कह असहंतउ वइसाणरु को टत्तणु पत्तउ । घत्ता- गंगहि मुणि भामहि कित्तिय व्हायेवि वहि जा तप्पिउ । ता तेणाणलेण उण्हत्थ लेणं जाणिहि सुक्कु समप्पिउ ॥१०॥ पौराणिक कथा समीक्षा हुए गन्भे मुणिहि णीसारियाउ सरवणे ताउ पसूइयाउ। छगम्भ समुब्भव काय अंसु • एक्क दि थियणं पारयहु लेसु। हुउ एक्क काउच्छ मुहु कुमारु तो तारयारि जीवावहारु । 19) 1.b दोन्हागं, a गब्भा, b हुऊ, 2.a एक्कान्हे, b. omits दोण्ह, b भाओ. b मासेहि जाओ, 3.b द?, a. explains ताया जाए as अज्ञानेन in margin, b तायाणए, b णिक्खित्तो, 4a णामाए, a कम्मंगं आईट्ठाए, 5.a तस्सा 6.a फालो एक्कीक्कावो, 7.a जीबीऊण, b चंदो, b उंग्गो णं मिम्हे मंत्तडो, 8.b विन्हू देवारी and then the space is blank and the back page 57 is also. blank on 58 a, we have in red ink begins from |पत्ता। अप्पउँ पत्तारइं जेण etc. 9.a मोतं Cf. भागवतपुराण, मत्स्यपुराण, विष्णुपुराण, महाभारत, सभापर्व । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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