Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur
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एरिसु वयण सच्चु जइ भासह कि वहुएण जुत्ति आलोयहु
विद्याधर वंशोत्पत्ति कथा
णितुणि जेम एयहु सुपसिद्धइ जइह रज्जे थविवि भर हेसरु भवियजणमणकमल दिणे सरु एत जियसालय संतरे पेणु सारिवि गुण अणुराइय कच्छमहाकच्छ हिवतणुरुह पणहि नाह किंण संभासहि अहह सामि कि ण अवरुंडहि महिय भुंजाविउ यि सुयसउ अहवा का एत्थु कोऊ हलु इजा तेहि जिणग्गइ जंपिउ अवहीणाणें कज्जु मुणेविणु
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घत्ता - मणवेए पुणु तहि सुहि भणिउ सुग्गीवाइ ण वाणर । तह रावणो वि रक्खसु ण फुडु सवल वि विज्जाह ॥ ११ ॥
(12)
तो महु वयणु काइ उवहासहु । दियहु मणिय मणि संसउ ढोयहु ।
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tes रक्खसवाणरचिंधइ । सिद्धत्यवणि पढ मजिणेसरु । पडिमा जोएँ थिउ परमेसरु । पहिय आसि जे ते तित्थंकरे । जहि जणु तहिं णमिवि ण मि पराइय | S जिणु पणवेविणु थिय पासहि बुह । णिन्भरु पुग्वणेहु ण पयासहि । किं ण पसायाहि रणहि मंडहि । अहं आलावेण जि संसउ । कज्जपराइउ सव्वह सीयलु । ता धरणिदहो आसणु कंपिउ । तुरिउ जिदिपसु आवेविणु ।
( 11 ) 1.5 किन जिह मई, 2.2 हिज्जइ इउ अण्णारिसु, 3 a तं सुणेवि, b भई पयंडवाई पंडियणरु, S a तें पि, b मणिउं तुम्हहिं जहि मई, b तहि, 6a सं from पुसंतउ is corrected as छं in the margin 8. जोयणु थुहु णाणंति, 9.b काई, 10 a मणु संसइ, 12. a तेह for
तह |
10
( 12 ) 1. b एयहं, 3.2 भवियणजण०, b तउलेविणु भवियकमलणेसरु, 4.a असि, a तित्यंतरे, 5.a जहि जिणु तहि 6a पणवेष्पिणु जिण पासहि भासहि for जिणु पणवेविणु etc. वुह b पासहि, 7.b पभणहि किण्ण नाह सभासहि, b पयासहि 8.b करिकरभुर्याह किण्ण, b किण्ण एसायाहरणई मंडहि, 9.a adds विणु कज्जेण देहु कि दंडहि before महियलु etc... a अहह, 10.b काई, b कज्जु, b सब्वहं, lia तेहि, 13.a झाणें, 14. b पच्छणु, b सव्वु, Cf. पद्मपुराण 5.1-562.
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