________________
एरिसु वयण सच्चु जइ भासह कि वहुएण जुत्ति आलोयहु
विद्याधर वंशोत्पत्ति कथा
णितुणि जेम एयहु सुपसिद्धइ जइह रज्जे थविवि भर हेसरु भवियजणमणकमल दिणे सरु एत जियसालय संतरे पेणु सारिवि गुण अणुराइय कच्छमहाकच्छ हिवतणुरुह पणहि नाह किंण संभासहि अहह सामि कि ण अवरुंडहि महिय भुंजाविउ यि सुयसउ अहवा का एत्थु कोऊ हलु इजा तेहि जिणग्गइ जंपिउ अवहीणाणें कज्जु मुणेविणु
१०७
घत्ता - मणवेए पुणु तहि सुहि भणिउ सुग्गीवाइ ण वाणर । तह रावणो वि रक्खसु ण फुडु सवल वि विज्जाह ॥ ११ ॥
(12)
तो महु वयणु काइ उवहासहु । दियहु मणिय मणि संसउ ढोयहु ।
Jain Education International
10
tes रक्खसवाणरचिंधइ । सिद्धत्यवणि पढ मजिणेसरु । पडिमा जोएँ थिउ परमेसरु । पहिय आसि जे ते तित्थंकरे । जहि जणु तहिं णमिवि ण मि पराइय | S जिणु पणवेविणु थिय पासहि बुह । णिन्भरु पुग्वणेहु ण पयासहि । किं ण पसायाहि रणहि मंडहि । अहं आलावेण जि संसउ । कज्जपराइउ सव्वह सीयलु । ता धरणिदहो आसणु कंपिउ । तुरिउ जिदिपसु आवेविणु ।
( 11 ) 1.5 किन जिह मई, 2.2 हिज्जइ इउ अण्णारिसु, 3 a तं सुणेवि, b भई पयंडवाई पंडियणरु, S a तें पि, b मणिउं तुम्हहिं जहि मई, b तहि, 6a सं from पुसंतउ is corrected as छं in the margin 8. जोयणु थुहु णाणंति, 9.b काई, 10 a मणु संसइ, 12. a तेह for
तह |
10
( 12 ) 1. b एयहं, 3.2 भवियणजण०, b तउलेविणु भवियकमलणेसरु, 4.a असि, a तित्यंतरे, 5.a जहि जिणु तहि 6a पणवेष्पिणु जिण पासहि भासहि for जिणु पणवेविणु etc. वुह b पासहि, 7.b पभणहि किण्ण नाह सभासहि, b पयासहि 8.b करिकरभुर्याह किण्ण, b किण्ण एसायाहरणई मंडहि, 9.a adds विणु कज्जेण देहु कि दंडहि before महियलु etc... a अहह, 10.b काई, b कज्जु, b सब्वहं, lia तेहि, 13.a झाणें, 14. b पच्छणु, b सव्वु, Cf. पद्मपुराण 5.1-562.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org