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वृद्धावस्था में इस सिद्धान्त के कारण ऋषियों ने उनको निष्कासित कर दिया । फलतः किसी विधवा से उन्होंने संबन्ध किया और उससे छाया नाम की सुन्दर कन्या हुई । इसी प्रसंग में शिव का और गंगा शारीरिक सम्बन्ध बताया है ।
पुराणों के अनुसार छाया विश्वकर्मा की पुत्री और संज्ञा की अनुचरी थी। संज्ञा सूर्य की पत्नी और यम तथा यमना की माता थी। सूर्य का तेज न सहन करने के कारण वह अपने पुत्रों को छाया के पास छोड़कर पिता के घर चली गई । छाया ने इन पुत्रों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया । फलतः उसे उसने विकलांग होने का अभिशाप दिया। पुराणानुसार गंगा हिमालय की पुत्री है । ऐसी प्रसिद्धि है कि गंगा पहले स्वर्ग में थी। सगर के पुत्रों की रक्षा की दृष्टि से भगीरथ उसे पृथ्वी पर ले आये । इसलिए उसे 'भागीरथी' कहा गया । गंगा जब स्वर्ग से गिरी थी तब पृथ्वी बह न जाये यह सोचकर शंकर ने उसे अपनी जटा में रोक रखा था । गंगा को इसी से शंकर की पत्नी कहा गया है । तिलोत्तमा कथा (4.13)
विश्वकर्मा ने ब्रह्मा की आज्ञा से विश्व सुन्दरी अप्सरा तिलोत्तमा का निर्माण किया। इन्द्र ने उसे ब्रह्मा के पास उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा। तिलोत्तमा ने अपने रूप से ब्रह्मा को आकृष्ट कर लिया। मत्स्यपुराण के अनुसार इनके चार मुख थे जिनसे नर्तकी तिलोत्तमा के रूप को निहारते थे। उसके आकाश में जाने पर उन्होंने अपना पंचम मुख गधे का बनाया । देवों ने उपहास किया तब उन्हें खाने के लिए ब्रह्मा ने कोपवश इसी पंचम मुख का उपयोग किया । यह देख कर महादेव ने उस मुख को काट दिया । बाद में कहा जाता है कि ब्रह्मा ने रीछनी के साथ संभोग किया जिससे जांबव नामक पुत्र हुआ । ब्रह्मा के साथ ऐसी अनेक कथायें जुड़ी हुई हैं । कहा जाता है, सरस्वती, सावित्री, गायत्री श्रद्धा और मेघा इन पांच पुत्रियों में से सर्वाधिक सुन्दरी पुत्री गायत्री पर वे आसक्त हो गये। वह मगी बनकर भाग गई । ब्रह्मा फिर मृग बनकर उसके पीछे दौड़े । तब शिव ने म गबधिक का रूप धारण कर उन्हें रोका (ब्रह्मपुराण, 102) । अन्ततः पुत्री गायत्री ब्रह्मा की पत्नी बनी (भागवत. 1-18.14; 3-8, 22-32; 9-1.24; 29-44; 10-3.6, 8.13-26)। 1. भागवतपुराण, 8-13 8-10; मत्स्य. 11.5-9; 248.73; वायु. 84.39-77. 2. ब्रह्मा. 3.59: 32-77; भागवत. 6-6-41. 3. वायु. 42.39-40; 71-5; 4. महाभारत, आदिपर्व, 210.4-83; 5. भागवत. 1-3.2; मत्स्यपुराण. 1.14; 2.36; 260.40; महाभारत, वनपर्व,
276.6-7; पौराणिक कोश
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