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हैं । लक्ष्मण की वीरता तथा सुन्दरता से प्रभावित होकर उसे अनेक राजा अपनी कन्या दान करते हैं ।
एक समय दैविक तलवार की शक्ति देखने से लक्ष्मण झुरमुट काटता है परन्तु असावधानता वशात् शम्बुक का शिर कट जाता है । शम्बुक की माता चन्द्रनखा दुःखित होती है परन्तु राम-लक्ष्मण के रूप को देखकर मोहित हो
है और प्रणय प्रस्ताव रखती है । असफल होने पर ख दूषण से युद्ध होता है । रावण भी सहयोग के लिए पहुंचता है। सीता के रूप पर मुग्ध होकर वह सिंहनाद कर उसे हरण कर लेता है। सीता न पाकर राम विहवल हो जाते हैं ।
इधर विट- सुग्रीव को पराजित कर वानर सुग्रीव को उसकी पत्नी तारा वापिस कराते हैं । सुग्रीव के आदेशानुसार हनुमान सीता की खोज करने लंका जाते हैं | लक्ष्मण द्वारा रावण का वध होता है और राम, लक्ष्मण तथा सीता अयोध्या वापिस पहुंचते हैं ।
तत्पश्चात् भरत और कैकेयी जिन दीक्षा ग्रहण करते हैं। राम स्वयं राज्यासीन न होकर लक्ष्मण को अभिषिक्त करते हैं । कुछ समय बाद सोता गर्भवती होती है परन्तु लोकापवाद से उसका निष्कासन कर दिया जाता है । संयोगवश पुण्डरीकपुर का राजा सीता को वहिन रूप में पालन, पोषण तथा संरक्षण करता है। वहीं लवण और अंकुश का जन्म होता है । कालान्तर में राम से इन दोनों बच्चों का युद्ध होता है और उसी के अन्त में पिता-पुत्र मिलन हो जाता है । सीता अग्नि परीक्षा में निष्कलंक सिद्ध हो जाती है परन्तु वह गृहस्थावस्था में प्रविष्ट न होकर जिन दीक्षा धारण करती है और तपकर सोलहवें स्वर्ग में उत्पन्न होती है । लक्ष्मण के आकस्मिक मरण से राम उन्मत्त से हो जाते हैं और लक्ष्मण का शव लेकर इधर उधर भटकते हैं । मनोद्वेग शान्त होने पर जिन दीक्षा लेकर निर्वाण प्राप्त करते हैं। इन्हीं प्रसंगों में अनेक उपकथायें आती हैं जिनका अनेक दृष्टियों से महत्व उपलक्षित होता है ।
रामकथा की दूसरी परम्परा मिलती है गुणधर के उत्तरपुराण में जिसका अनुगमण किया है पुष्पदन्त और कृष्णदास ने । इस परम्परा के अनुसार दशरथ की चार पत्नियां थीं । प्रथम सुबाला और कैकेयी ये दो पत्नियां थीं जिनसे क्रमशः राम और लक्ष्मण उत्पन्न हुए। बाद में दो विवाह और हुए जिनसे भरत और शत्रुघ्न पैदा हुए ।
सीता जन्म के विषय में यहां बताया गया है कि रावण ने एक समय afar की पुत्री मणिमति की तपस्या में विघ्न उपस्थित करने का प्रयत्न किया । मणिमति ने निदान बांधा कि मैं आगामी जन्म में मन्दोदरि की पुत्री होऊं और रावण के वध का कारण बनूं । ज्योतिषियों से यह बात जानने पर
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