Book Title: Dhammaparikkha
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology Nagpur
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करणंत किविणिमेहलसरु रणझणं तवरकंचणणेउरु णियकरडमरुयसरचालियअंगउ
इय डंतु गउ तावसआसमु भिक्खु देहु एरिसु जंपस उ कवि चितड़ किं एहु देउ
हरु
कवि हर हरियचित रिसिपत्ती हरगामे नियपिउ वोल्लावड़ कवि वोल्लह किं वुच्चइ संकरु कवि मयणव किं पि वियप्पड़ कवि संकरि कवि आलिंगणु ह ह ह हउँ कवि उरि पेल्लिय कवि पि तच्चखेविण संकइ जसु आरूढ सरीरं मणोब्भउ कवि गउ गउ ईसरु पभणती गुरुयणपुरउ वि पि में विडिय
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धत्ता - कवि देइ भिक्ख णाणापउर वण हलकंदल कंदहि | सइ जाइ पसाइयउववर्णाहि घयपयदहियहि मंदहि ||२||
वीरघटका रमणीहरु ।
मोह गाइ सुगेसरु । वविहरसवहु भाववसंगउ । तावसिजणहु जणंतु विरहसम् । हररुवेण अपंग व पत्तउ । चारु अहव किं मणहरु ।
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करि करेवि देवच्चणपत्ती । पुज्जहु देउ उभावइ ।
तावसह तियह असंकरु । भिक्खु भणेविणु डिंभु समप्पइ । मायावयणहि रंजइपियमणु परभत्तारहो उपरि घल्लय । हरहो अहरु अप्पंति ण थक्कइ । साण मुणइ अवसरु लज्जाभउ । गय वक्कलणिवसण धावंती । सरगगहि हरोवरि णिवडिय ।
घत्ता - इयतावससणु विवरीयमणु हरदंसणे जा जायउ । सेविणुता तावस भणहि कहि उद्धालु समायउ || ३ ||
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( 2 ) 1.a णाडयरस, b उद्दोविय, a चंदकलालंकिय, 3.b वट्टइ, 4.a चलणयरुइभासिउ, 5.b कररणंत, a • मेहलहरु, bomits the line वीरघट... मणहरू, 6.a जणमोहणगाइयगेयं हिसरु, 7.b पउ for अंगउ, a भावरसंगउ, 8.b ०जणहं, b विरहसंमु, 9.b भिक्खा, 11.a णाणापत्रर, b कंदलिकंदहि, 12.b सई जायपयाइयउववर्णाहं ।
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( 3 ) 3 b तावसियहु, 4.6 मयणवसण किं, b भिक्ख, 5 b संकर, 6.a हले हउ काइ वि उरि, 7.a पच्चक्ख, a adds वि before संकइ, 8. b मणोभउ, a सो, मुणई, a adds r before लज्जाभउ 11.6 तावसिगणु
12.b
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