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___ * चौबीस तीर्थङ्कर पुराण *
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लीलाओंसे बालक श्रेयान्सनाधको हमेशा प्रसन्न रखा करते थे। राज्य परिवारमें बड़े प्यारसे उनका पालन होने लगा। ___इन्द्र स्वर्गसे उनके लिये अच्छे अच्छे वस्त्र आभूषण और खिलौना वगैरह भेजा करता था। शीतलनाथ स्वामीके मोक्ष जानेके वाद सौ सागर, छयासठ लाख, छब्बीस हजार वर्ष कम एक सागर बीत जानेपर भगवान श्रेयान्सनाथ हुए थे। इनकी आयु भी इसी अन्तरालमें शामिल है। इनका जन्म लेनेके पहिले भारतवर्ष में आधे पल्यतक धर्मका विच्छेद हो गया था। पर इनके उत्पन्न होते ही धर्मका उत्थान फिरसे होने लगा था। इनकी आयु चौरसी लाख की थी, शरीरकी ऊंचाई अस्सी धनुषकी थी और रंग सुवर्णके समान स्निग्ध पीला था।
जब उनके कुमार कालके इक्कीस लाख पूर्व बीत गये तब उन्हें राज्य प्राप्त हुआ। राज्य पाकर उन्होंने सुचारु रूपसे प्रजाका पालन किया। वे अपने बलसे हमेशा दुष्टोंका निग्रह करते और मजनोंपर अनुग्रह करते थे। योग्य कुलीन कन्याओके साथ उनकी शादी हुई थी। जिससे उनका राज्य समय सुखसे बीतता था । देव लोग बीच बीच में तरह तरहके विनोदोंसे उन्हें प्रसन्न करते रहते थे। इस तरह इन्होंने व्यालीस लाख वर्षतक राज्य किया। इसके अनन्तर किसी एक दिन वसन्त ऋतुका परिवर्तन देवकर इन्हें वैराग्य उत्पन्न हो गया जिससे इन्होंने दीक्षा लेका ता करने का दृढ़ निश्चय कर लिया। उसी समय लौकान्तिक देवोंने आकर उनको स्तुति की। चारो निकायके देवों ने दीक्षा कल्याणकका उत्सव किया। भगवान श्रेयान्सनाथ श्रेयस्कर नामक पुत्रके लिये राज्य देकर देवनिर्मित 'वमलप्रभा'पालकीपर सवार हो गये । देव लोग उस पालकीको मनोहर नामके उद्यानमें ले गये । वहां उन्होंने दो दिनके उपवासकी प्रतिज्ञा कर फाल्गुन कृष्णा एकादशीके दिन 'श्रवण नक्षत्रमें सवेरेके समय एक हजार राजाओंके साथ दिगम्बर दीक्षा ले ली। उन्हें दीक्षा लेते हो मनः पर्यय ज्ञान प्राप्त हो गया था। तीसरे दिन चार ज्ञानके धारण करने वाले भगवान श्रेयान्सनाथ आहार लेनेकी इच्छासे सिद्धार्थ नगरमें गये । वहां पर नन्द राजाने उन्हें भक्ति पूर्वक आहार दिया। दानके प्रभावसे राजा नन्द
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