Book Title: Chobisi Puran
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Dulichand Parivar

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Page 433
________________ - - - * चौबीस तीर्थङ्कर पुराण २६३ गृहके विपुलाचलपर तो उनके कईवार आनेके कथानक मिलते हैं। इस तरह समस्न भारतवर्ष में जैनधर्मका प्रचार करते-करते जब उनकी आयु बहुत थोड़ी रह गई तब वे पावापुरमें आये और वहां योग निरोधकर आत्मध्यानमें लोन हो विराजमान हो गये । वहींपर उन्होंने सूक्ष्म क्रिया प्रतिपाति और व्युपरत क्रिया निवृत्ति नामक शुक्ल ध्यानके द्वारा अघातिया कर्मों का नाशकर कार्तिक वदी अमावस्थाके दिन प्रातःकालके समय बहत्तर वर्षकी अवस्थामें मोक्ष लाभ किया । देवोंने आकर निर्वाण क्षेत्रकी पूजा की और उनके गुणोंकी स्तुति की। ____ भगवान महावीर जव मोक्ष गये थे तन चतुर्थकालके ३ तीन वर्ष ८ माह १५ दिन बाकी रह गये थे। उन्हें उत्पन्न हुए आज २५३६ वर्ष और मोक्ष प्राप्त किये २४६४ वर्ष व्यतीत हो गये हैं। ये ब्रह्मचारी हुए। न इन्होंने विवाह किया और न राज्य ही। किन्तु कुमार अवस्थामें दीक्षा धारण कर ली थी। जिन्होंने इनकी आयु ७१ वर्ष ३ माह २५ दिनकी मानी है उन्होंने उसका विभाग इस तरह लिखा है। गर्भकाल 8 माह ८ दिन, कुमार काल २८ वर्ष ७ माह १२ दिन, छद्मस्थकाल १२ वर्ष ५ माह १५ दिन, केवलिकाल २६ वर्ष ५ माह २० दिन, कुल ७१ वर्ष ३ माह २५ दिन हुए। मुक्त होनेपर चतुर्थकालके बाकी रहे ३ वर्ष ८ माह २५ दिन। इस तरह इम मनमें चतुर्थकालके ७५ वर्ष १० दिन बाकी रहनेपर भगवान् महावीरने गर्भ में प्रवेश किया था और जिन्होंने ७२ वर्षकी आय मानी है उन्होंने कहा है कि चतुर्थ कालके ७५ वर्ष ८ मास १५ दिन बाकी रहनेपर महात्मा महावीरने त्रिशलाके गर्भ में प्रवेश किया था। इनके बाद गौतम सुधर्म और जम्बू स्वामी ये तीन केवली और हुए हैं। आज जैन धर्मकी आम्नाय उन्हींके सार गर्भित उपदेशोंसे चल रही है। वर्द्धमान, महाबीर, वीर अनिवीर और सन्मति ये पांच नाम प्रसिद्ध हैं ! - -

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