Book Title: Bramhacharya Digdarshan
Author(s): Vijaydharmsuri, Lilavat
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 13
________________ विषयानुक्रम । १ उपक्रम ... . ... ... २ प्रहाचर्य क्ण है ?... ३ वीर्यरक्षाकी आवश्यकता ४ ब्रह्मचर्यके दो भेद ... ५ ब्रह्मचर्यके दश स्थान ६ हिन्दुधर्मशास्त्रोंकी अज्ञाएँ ... ७ बौद्ध धर्मशास्त्र क्या करते हैं? ८ साधु-धर्मका भूषण ब्रह्मचर्य ही है ९ गृहन्थियों के पालनेका ब्रह्मचर्य... १० कमसे कम वीय-रक्षा कहाँतक करनी चाहिए ! ११ वर्तमान कालके युवक और बालकोंकी स्थिति १२ बाल्यावस्थामें पड़नेवाली बुरी आदतें ... १३ माता-पिताका कर्तव्य ... १४ समाजकी झूठी मान्यता ... १५ जीवनभर ब्रह्म वय पालनेका प्रभाव १६ पुत्रप्राप्तिकी इच्छासे ब्रह्मचर्य का नाश करना १७ लग्न किसके साथ करना चाहिए? ... १८ 'काम' पुरुषार्थ की साधना किस तरह करनी चाहिए ? १९ ब्याह करने के बाद भी ब्रह्मचर्य पालनेकी आवश्यकता २० विषयसेवनकी मर्यादा क्या है ! ... २१ क्या ज्यादा विषय -सेवनसे काम' की तृप्ति होती है ? २२ थोड़े वार्यकी क्षति भी बहुत नुकसान करती है ... २३ ब्रह्मचर्य से लाभ ... ... ... ... ... ६२ ... ६४ ... ६६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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