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दुराचारिणी स्त्रीको निर्दयता। ____ यहाँ पर ऐसी ही एक निर्दय-निष्ठुर स्त्रीकी कृति याद आती है
"एक स्त्री पर-पुरुषमें आसक्त हो गई थी। वह हमेशा अपने जार पुरुषको अपने घर बुलाया करती थी। एक वार वह जार पुरुष जब स्त्रीके घरमेंसे निकला उसी समय उस स्त्रीका सात वर्षकी उम्रका लड़का स्कूलसे घर आया। लड़केने अपनी माँसे पूछा- " माँ ? यह कौन है ?" माँने कहा-"तेरा चाचा है।" लड़केने कहा-“माँ ? क्या मेरे पिताके दूसरा भाई भी है ?" माँने कहा-"नहीं नहीं यह तो तेरे कहनेका चाचा है।" लड़केने कहा-" तो माँ, ये चाचा अपने यहाँ रोज आते हैं क्या ?" माँने कहा-"नहीं तो, कभी कभी अपने यहाँ बैठनेके लिए चले आते हैं।" लड़केने कहा-माँ दादानी परगाम गये हैं; वे आवेंगे तब मैं कहूँगा कि, अपने यहाँ अमुक मनुष्य रोज आता है !"
लड़फेकी यह बात सुनकर वह स्त्री घबराई कि, कहीं लड़का अपने दादाको कह देगा तो मेरी बहुत फनीहती होगी । इसलिए मैं ऐसा उपाय करूँ कि, लड़का और इसका दादा मिलनेही न पावें । परंतु ऐसा तो तभी हो सकता है जब, या तो लड़का मरे या उसका दादा मरे । परन्तु इसके दादाको मारनेका तो कोई उपाय नहीं है, इसलिए लड़के को मार डालना ही ठीक है। ऐसा
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