Book Title: Bramhacharya Digdarshan
Author(s): Vijaydharmsuri, Lilavat
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 93
________________ ७९ कारण कि, पुरुषोंसे स्त्रियोंमें कामवासना आठ गुनी अधिक बताई गई है। इसलिए विवाहित पुरुषोंको अपनी स्त्रीको मर्यादामें रखनेके लिए मुख्यतया कुछ नियम पालनेकी जरूरत है। यद्यपि यह बात सच है कि, स्त्रियाँ पुरुषोंकी तरह एकदम निर्लज नहीं हो जाती हैं; तथापि जब वे निज हो जाती हैं, तब ऐसी होजाती हैं कि, क्रूरसे क्रूर काम करनेमें भी वे आगा पीछा नहीं करती हैं । अतएव पुरुषोंको स्त्रीकी रक्षाकरनेकेलिए खूब ध्यान रखनेकी जरूरत है। कलिकाल सर्वज्ञ श्रीहेमचंद्राचार्य योगशास्त्रकी टीकामें स्त्रीकी रक्षाके चार उपाय बताते हैं । वे ये हैं, १-अपने गृहकार्यका समस्त बोझ स्त्रीके ऊपर डालना, २-उसके पास परिमित द्रव्य रखना, ज्यादा नहीं, ३-उसको स्वतंत्रता नहीं देना अर्थात् कुसमय फिरने जानेकी, खराब आचरणवाली स्त्रियोंका संग करनेकी, मेले खेल तमाशे वगैरा देखने जानेकी, और निष्कारण घरसे इधर उधर भटकने इत्यादिकी स्वतंत्रता नहीं देना और ४-पुरुषको अपनी स्त्रीके सिवा अन्य स्त्रीयोंको माता बहिन और पुत्रीके समान समझना । अर्थात् पुरुषको परस्त्री और वेश्याका त्यागी रहना । इन चार बातोंका खयाल रखनेवाले पुरुषकी स्त्री ही सदाचारिणी रहती है। जो इसके विपरीत चलता है, उसकी स्त्री अपनी कुल मर्यादा तजकर कुलको कलंकित करती है । यहाँ तक कि, अधमसे अधम कार्य करनेसे भी वह नहीं डरती है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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