Book Title: Bramhacharya Digdarshan
Author(s): Vijaydharmsuri, Lilavat
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 97
________________ दी, तब उस पापिनीका हृदय काँपने लगा। वह पाप नहीं छिपा सकी। अतः उसने जहाँ लडकेके शरीरके अवयव डाटे हुए थे वह स्थान बताया । तमाम सबूत मिल गई । सरकारने उस स्त्रीको जन्मभरके लिए देश निकालेकी सजा दी। पापिनीने लड़का खोया; आबरुकी खराबी की और दोनों कुलोंमें कलंक लगाया।" प्रियपाठक ! ऐसा नीचातिनीच कृत्य उस स्त्रीने किसलिए किया ? किसके आधीन होकर किया ? विषयके । वह स्त्री परपुरुषमें रत हुई उसीका यह परिणाम हुआ। स्त्रियोंको सावधानी रखनी चाहिए। ___ उपर्युक्त दृष्टांत ध्यानमें रखकर पुरुषोंकी तरह स्त्रियोंको भी चाहिए कि, वे कभी भी अपने पतिके सिवा पर-पुरुषपर आसक्त न हों। वे अपने शीलकी रक्षाकेलिए-ब्रह्मचर्यकी रक्षाके लिए किसी दुराचारी पुरुषके फंदेमें न फँसे; क्योंकि संसारमें कई वेषघारी भी ऐसे फिरते रहते हैं कि, जो वेष तो साधुका-संन्यासीका रखते हैं; परन्तु उनके आचरण अधम होते हैं । वे मीठी २ बातें बनाकर बिचारी सरल हृदया विधवाओं और सधवाओंके जीवन नष्ट कर देते हैं । एक समय एक वेषधारी एक विधवासे कहने लगा-"बाई ! आजकल तुम दिखाई नहीं देती है क्या साधु संतके दर्शन करना भी भूल गई ? आती रहोगी तो दो अक्षरका ज्ञान प्राप्त होगा। अब तुम्हारे लिए तो संत-साधुका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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