Book Title: Bramhacharya Digdarshan
Author(s): Vijaydharmsuri, Lilavat
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 66
________________ उनमें वारंवार झघड़ा होता है। उनमें कभी एक दूसरेके प्रति सहानुभूति नहीं होती । इसी लिए कहागया है कि, स्त्री पुरुष दोनों समान कुलके होने चाहिए। उसके साथ ही उनके आचरणोंमें भी फरक नहीं होना चाहिए। यदि उनके आचरण भिन्न २ प्रकारके होते हैं, तो उससे भी उन दोनों में प्रेम नहीं होता है । लग्नबंधनमें बँधनानेके बाद भी यदि उनके आपसमें प्रेम नहीं होता है, तो वे धार्मिक या सांसारिक किसी प्रकारका कार्य ठीक तरहसे नहीं कर सकते हैं । परिणाम यह होता है कि, उनका सारा जीवन निःसार हो जाता है। पुरुष यदि अमुक प्रकारके धार्मिक नियम पालता हो और स्त्री नहीं पालती हो; या स्त्री अमुक नियमोंको पालती हो और पुरुष नहीं पालता हो, तो उसका परिणाम परस्परका वैमनस्य और क्लेश होता है । इस लिए आचरण-भेद भी नहीं होना चाहिए। ____ यहाँ यह कहना भी अयोग्य नहीं होगा कि आजकलकी अनुचित स्वच्छंदताके प्रतापसे कई एक सुधारक कहलानेवाले ऐसे उपदेश और आचरण कर रहे हैं कि, जिनके कारण भारत वर्षसे इस नियमके लोप होनेका डर लगता है। ब्याह क्या चीज है ? और वह किस लिए करना चाहिए ? इसका कुछ भी हेतु न समझकर केवल विषयवासनाओंको तृप्त करनेके लिए कितने ही कुलवान गृहस्थ भी बहुत ही हलके कुलकी और Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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